आरआरबी एनटीपीसी सीबीटी-1 का रिजल्ट जारी होने के बाद से इसमें भयंकर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जिसके विरोध में पिछले दिनों से ट्विटर पर #RRBNTPC ट्रेंड कर रहा है. उम्मीदवारों का आरोप है कि एक ही विद्यार्थी का कई पदो पर चयन कर लिया गया है जिससे लाखों विद्यार्थी बाहर हो गए है.
लाइव हिंदुस्तान पर छपी खबर के मुताबिक इस रिजल्ट में कुल ढाई लाख उम्मीदवारों का ही चयन किया गया है लेकिन एक ही उम्मीदवार को कई अलग-अलग पद देकर उनकी संख्या कुल साढ़े सात लाख कर दी गई है. जाहीर है वैसे अभ्यर्थी जिनका एक से अधिक पदों पर चयन किया गया है वो किसी एक पद पर नौकरी करेंगे ऐसे में बाकी पद खाली रह जाएंगे.
इतना ही नहीं छात्रों के कई और आरोप भी हैं. आरआरबी ने परीक्षा के बाद कई प्रश्नों के गलत उत्तर जारी किए थे जबकि छात्रों ने सही उत्तर का चयन किया था. 2021 में 27 और 28 मार्च को हुई परीक्षा में इस गड़बड़ी से हजारों छात्रों के अंक कम हो गए.
अभी तक 15 जॉन के लिए जारी किये गए रिजल्ट का कट ऑफ काफी अधिक है और अधिक अंक वाले उम्मीदवारों का चयन एक से अधिक पदों के लिए कर लिया गया है. रिजल्ट जारी होने के बाद से ही छात्रों में आक्रोश है. ट्विटर पर लगातार इसका विरोध किया जा रहा है.
एक स्टूडेंट एक रिजल्ट की मांग
ट्वीटर पर एक स्टूडेंट के लिए एक रिजल्ट की मांग की जा रही है. जाहीर है ऐसा होने पर 7 लाख से ज्यादा उम्मीदवार पास होंगे. #RRBNTPC_1student_1result के हैसटैग के साथ 4 मिलियन से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके हैं.
इंजीनियर सचिन यादव नाम के ट्वीटर यूजर ने लिखा है “NTPC_RESULT जब तक रिवाइज नहीं होगा, 7 लाख पास नहीं होंगे तब तक हम रुकने वाले नहीं.”
विवेक कुमार नाम के यूजर ने अपना स्कोर कार्ड शेयर करते हुए लिखा है “प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 70% अंक पर्याप्त नहीं हैं लेकिन रेलवे बोर्ड ने कई मेधावी छात्रों को अयोग्य घोषित कर दिया है.”
ज्ञात रहे कि ये एक प्रारंभिक परीक्षा थी जिसमें आगे और परीक्षा होनी है. एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने लिखा कि “मोदी सरकार ने विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद कर दिया.”
लाइव हिंदुस्तान ने रेलवे के हवाले से लिखा है कि “प्रत्येक चरण के कंप्यूटर आधारित परीक्षण के लिए प्रत्येक आरआरबी की रिक्तियों के मुकाबले 20 गुना अधिक अभ्यर्थियों को बुलाया गया है. यह भी बताया गया कि यदि कई अभ्यर्थियों ने कट-ऑफ पर समान अंक प्राप्त किए हैं, तो सभी को बुलाया गया है. दूसरे चरण की सीबीटी में प्राप्त मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को तीसरे चरण की परीक्षा के लिए चुना जाएगा, जिसमें रिक्तियों की संख्या के मुकाबले आठ गुना अभ्यर्थी बुलाए जाएंगे.”
ज्ञात रहे कि 35 हजार 208 पदों के लिए हुई इस परीक्षा में 75 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के ट्वीट के बावजूद भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जो कई सवाल खड़े करता है. क्या सरकार के लिए छात्रों की आवाज बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती?