बिहार बिजली संकट से जूझने के कगार पर खड़ा नज़र आ रहा है. एनटीपीसी का बिहार में बाढ़, कहलगांव, कांटी, बरौनी व नवीनगर में उत्पादन इकाई है.
ऊर्जा सचिव संजीव हंस ने कहा है कि बिहार में बिजली कंपनियों के द्वारा अपना उत्पादन नहीं किया जाता बल्कि केंद्रीय बिजली उत्पादन संस्थानों के द्वारा उत्पादित बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं को दी जाती है. बाजार में वर्तमान कोयला संकट के कारण महंगी दर पर बिजली मिल रही है. बाजार से महंगी बिजली खरीदकर भी उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने का निर्णय लिया गया है.
उधर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कोयले की कमी को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि हम चीन की तरह कोयले की संकट से नहीं जूझ रहे है. हमारे पास पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है.
कोयले की सप्लाई और अधिक हो रही है. आगामी गर्मी तक हम सुधार कर लेंगे. आरके सिंह ने आगे कहा है कि हम इस कोयले का संकट नहीं कह सकते. परंतु यह एक बेहद मुश्किल वक्त है.
आरके सिंह का कहना है कि भारत में 2.83 करोड़ बिजली के नए उपभोक्ता जुड़े है.
मगर ताज़ा आंकड़े आरके सिंह के बयानों के बिल्कुल उलट है.
बिहार को इस समय एनटीपीसी से मात्र 300 मेगावाट बिजली मिल रही है. जबकि बिहार को 4500 मेगावाट की आवश्यकता है.
निजी बिजली ऊर्जा घर इस समय 347 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है.