सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10वीं और 12वीं बोर्ड की ऑफ़लाइन परीक्षाओं को लेकर अहम फैसला सुनाया गया है. कोर्ट ने दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं को ऑफलाइन के बदले ऑनलाइन कराने से इनकार कर दिया है. बुधवार को हुई सुनवाई में ऑफलाइन परीक्षाएं रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई. कोर्ट ने कहा कि अथॉरिटी परीक्षाओं को लेकर आगे बढ़ें, वो इस मामले में दखल नहीं देगा.
सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि “ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई करने से व्यवस्था में और अधिक भ्रम पैदा होता है. पिछली बार का फैसला आदर्श नहीं बन सकता, ऐसी याचिकाएं छात्रों को झूठी उम्मीद देती हैं और कंफ्यूजन पैदा करती हैं, वे ऐसी याचिकाओं से गुमराह होंगे. आपकी याचिका पर विचार करने का मतलब है कि और ज्यादा कन्फ्यूजन पैदा करना है.”
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि, “ये प्री मेच्योर याचिका है. अधिकारी पहले से ही तारीखों और अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं. यदि उन्हें अंतिम रूप देने के बाद कोई समस्या है तो पीड़ित पक्ष अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.’ कोर्ट ने कहा कि ‘आपको जो कहना है ऑथोरिटी को जाकर बताएं. ये गैरजिम्मेदाराना ढंग से जनहित याचिका का दुरुपयोग है. लोग भी कैसी कैसी याचिका दाखिल कर देते हैं.”
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट में ऑफलाइन परीक्षा के बजाए वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा कराने की मांग की गई थी. याचिका में सभी राज्य बोर्ड, CBSE और ICSE की 10 वीं और 12 वीं बोर्ड शारीरिक तौर पर परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई थी. याचिका में सभी बोर्डों को समय पर परिणाम घोषित करने के लिए निर्देश देने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के कारण सुधार परीक्षा के विकल्प देने की भी मांग थी. याचिका में कहा गया था कि कोविड के कारण शारीरिक तौर पर कक्षाएं नहीं लगीं. ऐसे में बोर्ड की परीक्षाओं को ऑनलाइन कराया जाए. इसी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी.