बिहार: 10वीं और 12वीं परीक्षा छात्रों के लिए चुनौती, 7.5 लाख परीक्षार्थी पंडाल में परीक्षा देंगे

कोरोना महामारी की तीसरी लहर के बीच बिहार में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं होने जा रही हैं. 12वीं की परीक्षा 1 फरवरी से शुरू होगी और 10वीं की परीक्षा 17 फरवरी से. इन दोनों परीक्षाओं में बिहार के कुल 30 लाख परीक्षार्थी इस बार परीक्षाएं देंगे. कोरोना के बीच परीक्षा आयोजित करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिसके तहत करीब 7.5 लाख परीक्षार्थी बरामदे पर और पंडाल में परीक्षा देंगे.

बिहार सरकार द्वारा भले ही बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई गई हो या नहीं मगर परीक्षाओं की तैयारियां ज़ोरशोर से की जा रही है. 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए स्कूल और कॉलेज को परीक्षा से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिसके अनुसार परीक्षा कक्ष में बच्चों की बैठने की व्यवस्था टी शेप में होगी. यानि कि पहली बेंच पर दो परीक्षार्थी होंगे तो उसके पीछे की दूसरी बेंच पर केवल एक परीक्षार्थी को बैठाया जाएगा और तीसरी बेंच पर फिर से दो परीक्षार्थी होंगे. इन सभी निर्देशों के पीछे परीक्षार्थियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना है.

इसका अर्थ यह हुआ कि अगर एक कक्ष में पहले 100 प्रतिशत परीक्षार्थी बैठते थे तो अब केवल 75 प्रतिशत ही बैठेंगे. बाकी के 25 प्रतिशत परीक्षार्थी ( करीब 7.5 लाख ) क्लास में नहीं बैठ सकेंगे. उनके क्लास के बाहर बरामदे या खाली जगह पर बैठाया जाएगा. जिन स्कूलों में बरामदा नहीं होगा. वहां पंडाल लगाकर बाहर बच्चों को बैठाया जाएगा.

इस बार की बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के इंटर की परीक्षा में 13 लाख 46 हजार 334 परीक्षार्थी हैं. जबकि 10वीं की परीक्षा में 16 लाख 5 हजार परीक्षार्थी शामिल होंगे. इस तरह से कुल 29 लाख 62 हजार 334 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे. इनमे से करीब 7.5 लाख परीक्षार्थियों के लिए बोर्ड के निर्देशानुसार भाड़े पर पंडाल की व्यववस्था की जा रही है. बोर्ड द्वारा कहा गया है कि अगर बेंच और डेस्‍क की कमी है तो अन्‍य स्‍कूलों से इसकी व्‍यवस्‍था की जाएगी.

गारी गाइडलाइन के अनुसार बदले हुए नियमों में पहला नियम है चप्‍पल पहनकर बोर्ड परीक्षा देने का. यानि कि ठंडके बावजूद जूते और मौजे प्रतिबंधित हैं. हालांकि लडकियों को खुली सैंडल पहनकर आने की छूट दी गई है. दरअसल, इससे पहले कई बार ऐसा देखा गया है कि छात्र जूते मोजे में चिट छुपाकर ले आते हैं. इसलिये छात्रों चिटिंग करने से रोकने के लिये बोर्ड ने यह कदम उठाया है.

वहीं दूसरी ओर इस कड़ाके की ठंड के बीच पंडाल में परीक्षा होना परीक्षार्थियों के लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक फरवरी में 5 से 6 फरवरी के बीच बारिश की भी आशंका जताई जा रही है यानी पंडाल और बरामदे में बैठने वाले बच्चों को बारिश से बचाने के भी उपाय करना होगा.

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