अब बिहार में भी जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव पर शोध होगा.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी (इनपुट) के अनुसार,जलवायु परिवर्तन का अध्ययन अलग-अलग चरणों में किया जाएगा. पहले चरण में चार मेडिकल कालेज इस अध्ययन में शामिल होंगे. जिन मेडिकल कालेजों का चयन किया गया है उनमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) पटना, पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच) और नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल (एनएमसीएच) शामिल हैं.

• सूखा,बाढ़, तूफान, वज्रपात अत्यधिक गर्मी और ठण्ड आदि मौसमी प्रभाव का अध्ययन .
ये चारों स्वास्थ्य संस्थान अपने-अपने तरीके से जलवायु परिवर्तन का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का शोधपरक अध्ययन करेंगे तथा उसके निष्कर्षों से सरकार को अवगत कराएंगे. विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में लगातार बाढ़, तूफान, वज्रपात का खतरा पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में काफी बढ़ा है. यह देखा गया है कि इस प्रकार के बदलाव लोगों को बीमार भी बना रहे हैं. बाढ़ की वजह से पानी से होने वाली बीमारियाँ जैसे कालरा, हैज़ा, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस और फाइलेरिया जैसी बीमािरयों के शिकार हो रहे हैं.

• लोगों में बढ़ रहीं हैं सांस सम्बन्धी बीमारियांं

इसी प्रकार वायु गुणवत्ता प्रभावित होने की वजह से लोगों में सिर दर्द, चिंता का बढ़ाना, नाक और गले का संक्रमण, आंखों में जलन-चुभन तथा सांस से जुड़े संक्रमण के मामले भी बढ़े हैं.  स्वास्थ्य विभाग का आकलन है कि लोगों में बीते कुछ वर्षों की अपेक्षा आज के दौर में चिड़चिड़ापन, एलर्जी, फेफेड़े का कैंसर, खून संबंधी बीमारी, सांस संबंधी बीमारी भी बढ़ी है.

• रिपोर्ट्स के आधार पर समस्याओं को हल किया जाएगा.

अध्ययन के दौरान यह देखा जाएगा कि बढ़ती बीमारी की वजह में जलवायु परिवर्तन की कितनी भूमिका है और वो किस हद्द तक मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. चयनित कालेजों की रिपोर्ट आने के बाद इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार एक्शन प्लान तैयार करेगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं को खत्म नहीं तो कम से कम सीमित किया जा सके.

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