एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज 3 साल बाद जेल से रिहा हुई

एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार 16 लोगों में से एक हैं. जो तीन साल से अधिक जेल में बिताने के बाद आज सुबह रिहा हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 1 दिसंबर को दी गई डिफ़ॉल्ट जमानत पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी की याचिका को खारिज कर दिया था.

जस्टिस यूयू ललित, एसआर भट और बेला एम त्रिवेदी ने उनकी रिहाई को मंजूरी देते हुए कहा, हमें उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है.

एनआईए अदालत द्वारा कल जमानत की शर्तें तय करने के बाद सुश्री भारद्वाज को भायखला महिला जेल से रिहा कर दिया गया. वह इस मामले में डिफॉल्ट जमानत पाने वाली पहली महिला हैं.

इस मामले को पहले पुणे पुलिस ने संभाला था और बाद में एनआईए ने इसे अपने कब्जे में ले लिया. वह शुरू में पुणे की यरवदा जेल में बंद थी जब राज्य पुलिस मामले की जांच कर रही थी और एनआईए के कार्यभार संभालने के बाद उसे भायखला महिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था. मामले की सुनवाई अभी बाकी है.

जमानत की शर्तों के तहत, एक विशेष एनआईए अदालत ने कहा कि 60 वर्षीय कार्यकर्ता को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा और मुंबई में रहना होगा. उसे शहर की सीमा छोड़ने के लिए अदालत से अनुमति लेनी होगी.

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