गुजरात के अहमदाबाद में साल 2008 में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में आज स्पेशल कोर्ट ने दोषियों के सजा का एलान कर दिया है. कोर्ट ने 49 में 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है जबकि शेष 11 को आजीवन जेल भुगतने की सजा सुनाई गई है. यह फैसला एतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इतनी संख्या में दोषियों के एक साथ सजा सुनने की यह पहली घटना है.
26 जुलाई 2008 को गुरजरात के अहमदाबाद में लगातार रूप से 70 मिनट में 21 बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे. मामले में अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफआईआर दर्ज हुए थे. जिसके बाद दिसंबर 2009 से सुनवाई शुरू हुई. इस सीरियल ब्लास्ट में 78 आरोपी थे. एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था. इस कारण कुल 77 आरोपी बन गए थे.


13 साल तक चली सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे. पुलिस और कानूनी एजेंसियों ने 6 हजार से ज्यादा सबूत पेश किए थे. 8 फरवरी 2022 को 49 आरोपी दोषी करार. 28 आरोपी बरी हुए. अंततः स्पेशल कोर्ट के जज अंबालाल पटेल ने 6,752 पन्नों का फैसला सुनाया. 49 दोषियों में से 38 को फांसी की सजा और 11 को आजीवन कारावास कैद की सजा सुनाई गई. दोषियों को सजा सुनने के साथ ही कोर्ट ने धमाके में मारे गए लोगों को 01 लाख, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50 हजार और मामलू तौर पर घायल लोगों को 25 हजार मुआवजा राशि देने को कहा.
इन धमाकों के पीछे की वजह आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया को बताया गया. आरोप था कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने 2002 में हुए गोधरा दंगे का प्रतिशोध लेने के लिए बम धमाके की साजिश रची थी. पुलिस का दावा है कि उक्त आरोपी इंडियन मुजाहिदीन रहे हैं. धमाकों से 5 मिनट पहले आतंकियों ने न्यूज एजेंसियों को एक मेल भी किया था जिसमें लिखा था, ‘जो चाहो कर लो. रोक सकते हो तो रोक लो.’