गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, जो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक संस्थान है, को आजकल विवादों का सामना करना पड़ रहा है. हालिया शिक्षक भर्ती अभियान के तहत गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नामित पदों को “उपयुक्त नहीं पाया गया” श्रेणी के तहत कथित रूप से छोड़ने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस-टीआईएसएस मुंबई और दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग-एनसीबीसी से शिकायत की. जिसके बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने नोटिस जारी कर गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान से भर्ती का विवरण मांगा है.
अपनी शिकायत में टीआईएसएस छात्र मयंक यादव और डीयू छात्र विवेक राज ने आरोप लगाया कि चयन और नियुक्तियों की पूरी प्रक्रिया दुर्भावनापूर्ण, अनियमित, ओबीसी के खिलाफ पूर्वाग्रह से भरी हुई, डीओपीटी नियम और आरक्षण के संवैधानिक जनादेश के खिलाफ थी. इस घटना के बाद सफाई देते हुए जीबीपीएसएसआई के निदेशक प्रोफेसर बद्री नारायण तिवारी ने जातिवाद और पूर्वाग्रह के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि सूची में ओबीसी पदों के खिलाफ एनएफएस रखा जाना एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग था, लेकिन दुर्भावनापूर्ण नहीं था.
एनसीबीसी के निदेशक आरआर यादव ने 1997, 2005, 2019 और 2021 के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के रोस्टर, पिछले पांच वर्षों में हुई भर्ती, पिछले तीन वर्षों की चयन समिति की रिपोर्ट और पिछले 10 वर्षों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की एनएफएस की सूची के विवरण की मांग करते हुए दो दिनों में जीबीपीएसएसआई से जवाब मांगा है.