दिल्ली के इंडिया गेट पर पिछले 50 से जल रही अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने अमर जवान ज्योति को अब इंडिया गेट की वजह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलाने का फैसला किया है. आज दोपहर 3.30 बजे एक कार्यक्रम में अमर जवान की मशाल को नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ मिला दिया जाएगा.
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जोकि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. 3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चला. भारत की निर्णायक जीत हुई और बांग्लादेश अस्तित्व में आया. इस युद्ध में भारत के कई वीर जवानों ने प्राणों का बलिदान किया. जब 1971 युद्ध खत्म हुआ तो 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्योति जलाने का फैसला हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था.

1971 में निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य गणमान्य हस्तियां अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण करती हैं. हर साल उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने भारत की रक्षा में जान कुर्बान कर दी. इसके चारों तरफ कलश रखे हुए हैं, जिनमें से एक में ज्योति 1971 से जली आ रही है. अब केंद्र सरकार ने अमर जवान ज्योति को अब इंडिया गेट की वजह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलाने का फैसला किया है.
इस कदम की तीखी आलोचना की जा रही है. इस विलय को लेकर सियासी बवाल पैदा हो गया है पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!’
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया, ‘अमर जवान ज्योति को बुझाना उस इतिहास को मिटाने की तरह है जो पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और दक्षिण एशिया के मानचित्र को बदलने वाले 3,483 बहादुर सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है.’

