बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद पर अपने राजनीतिक प्रभाव से रिश्तेदारों को फायदा पहुँचाने का आरोप
पाँच साल पहले शुरू हुए नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘हर घर, नल का योजना’ योजना में घोटाले सामने आए है. अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की लगभग चार महीने की इंवेस्टिगेशन में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के रिश्तेदारों के इस योजना से बड़े लाभ कमाए जाने के मामले सामने आए है. बीजेपी और जेडीयू के विधायकों समेत अन्य नेताओं के नाम भी इसमें शामिल हैं.
उपमुख्यमंत्री की बहु समेत उनके अन्य रिश्तेदारों से जुड़ी दो कंपनीयों को इस योजना के तहत 53 करोड़ का ठिका दिया गया है. हालांकि ये मामला 2019 का है जब तारकेश्वर बिहार के उपमुख्यमंत्री नहीं थे. मामला कटिहार जिले का है और तारकेश्वर 2005 से ही कटिहार विधानसभा से विधायक हैं. इस टेंडर प्रक्रिया में उनके राजनीतिक प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता.
नीतीश सरकार के इस कार्यकाल में पहली बार किसी मंत्री पर इतने गंभीर आरोप नहीं लगे हैं. शिक्षा मंत्री मेवालाल को मंत्रिमंडल में शामिल होने के कुछ ही घण्टों बाद इस्तीफा देना पड़ा था. पत्रकारों ने जब मुख्यमंत्री से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने दोनों हाथ जोड़ लिए.
इस योजना के अंतर्गत पीएचईडी ने 2019-2020 में कटिहार जिले में 36 प्रोजेक्ट की मंजूरी दी थी. 4 वार्डों में 1.6 करोड़ का काम उपमुख्यमंत्री की बहु पूजा कुमारी को मिला. पूजा पीएचईडी में व्यक्तिगत ठेकेदार के तौर पर पंजीकृत है. नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ अधिकारियों ने बताया कि पूजा कुमारी को टेंडर मिलने पर सवाल इसलिए उठा है क्योंकि उनकी कंपनी को काम का कोई अनुभव भी नहीं था.
9 वार्ड में 3.6 करोड़ का टेंडर दीपकिरण इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को मिला। इस कंपनी का संचालक पूजा कुमारी का भाई अर्थात उपमुख्यमंत्री का साला प्रदीप कुमार भगत और उसकी पत्नी किरण भगत है.
तारकिशोर प्रसाद का साला ही देखता है सारा काम
पूजा कुमारी के प्रोजेक्ट वाले चारों वार्ड में टेंडर तो पूजा कुमारी के नाम से है लेकिन सारा काम-धंधा उनके भाई प्रदीप कुमार भगत ही संभालते है. इससे स्पष्ट होता है कि टेंडर के पैसों के लिए उपमुख्यमंत्री की बहु का सिर्फ नाम ही इस्तेमाल किया गया है.
8 पंचायत के 110 वार्ड में 48 करोड़ का काम जीवनश्री इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को मिला था. इस कंपनी में तारकेश्वर प्रसाद के तीन करीबी संचालक प्रशांत जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार हैं.
तारकेश्वर प्रसाद पर ऐसे आरोप पहली बार नहीं लगे हैं. 2019 में राजद उम्मीदवार ने कटिहार सदर अस्पताल की सफाई और ‘हर घर, नल का जल’ से संबंधित सरकारी ठेके में तारकेश्वर प्रसाद की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. इसको लेकर 2019 विधानसभा में हंगामा भी हुआ था.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बयान दिया है कि उनके कटिहार उम्मीदवार के पास तारकेश्वर प्रसाद के खिलाफ तमाम सबूत हैं जिनके साथ वो जल्द ही प्रेस वार्ता करेंगे. नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार अपने भ्रष्ट उपमुख्यमंत्री के खिलाफ कोई एक्शन ले ही नहीं सकते. ऐसा करने पर उनके खिलाफ सृजन घोटाले की फाइल खोल दी जाएगी.
उपमुख्यमंत्री ने दीपकिरण और जीवनश्री से अपने किसी भी सीधे संबंध से इंकार कर दिया. बहु को टेंडर दिलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ठेके के लिए किसी भी तरह के राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि उनका परिवार बिजनेस करे तो इसमें दिक्कत क्या है.
तकनीकी तौर उपमुख्यमंत्री के परिवार को टेंडर मिले इसमे कोई समस्या तो नहीं है. परंतु उपमुख्यमंत्री रहते हुए टेंडर मिलना राजनीतिक प्रभाव ही माना जायेगा. राजनीतिक रसूख रखने वालों ठेकेदारों के कार्यों का मूल्यांकन भी सही ढंग से नहीं हो पाता हैं.
सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा
चर्चा इस बात की भी हो रही है कि दोनों कंपनियां सरकारी मानकों के हिसाब से नहीं चलती है. बीते दिनों सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा रही कि टेंडर मैनेज करने का ये खेल तो बहुत पुराना है. बहरहाल, माना जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री तारकिशोर धीरे-धीरे पार्टी कमान से स्वतंत्र होकर अपने निर्णय खुद लेने लगे थे कि अचानक यह मामला सामने आ गया. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले पर करवाई करने के बदले सायास चुप्पी साधी हुई है. इस मामलें पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े बड़े नेताओं के बयान नहीं आये हैं.
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