बिहार: 01 लाख से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में

बिहार में साल 2015 से न्यायालय के आदेशानुसार राज्य सरकार शिक्षक नियुक्ति में हुए फर्जीवारे की जांच चल रही है. यह जांच 2006 से 2015 के बीच हुई नियुक्ति के संबंध में हो रही है. इसी मामले में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एक नया अपडेट दिया है. शिक्षा मंत्री ने कहा है कि ये फैसला लिया गया है कि शिक्षक अगर कागजात उपलब्ध नहीं कराते हैं तो न्यायालय के संज्ञान में देकर उनकी सेवा समाप्त करने पर विचार किया जाएगा. यानी की साल 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए शिक्षकों की नौकरी अब खतरे में है.

दरअसल साल 2014 में फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से बिहार में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति का मामला सामने आया था. जिसके बाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्यभर में निगरानी ब्यूरो साल 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को लेकर जांच कर रही है. इस जांच में करीब सवा 03 लाख शिक्षकों के शैक्षणिक, प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों तथा नियोजन इकाइयों द्वारा तैयार मेधा सूची की जांच की जा रही रही थी.

चल रही जांच के तय समय सीमा खत्म होने के करीब छह महीने बाद भी बिहार राज्य के 1.03 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पास नहीं हैं. इस वजह से नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने में दिक्कत हो रही हैं.

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी

इस मामले में गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बैठक बुलाई थी. जहां शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा की गई. इसके उपरांत शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि शिक्षकों के फ़ोल्डर निगरानी ब्यूरो के पास नहीं हैं. इसलिए ये फैसला लिया गया है कि शिक्षक अगर कागजात उपलब्ध नहीं कराते हैं तो न्यायालय के संज्ञान में देकर उनकी सेवा समाप्त करने पर विचार किया जाएगा.

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