हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार के जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख व्यक्ति पर मात्र छः बेड है. 234 पन्ने के इस रिपोर्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय इकाई, भारत सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा नीति आयोग ने तैयार किया है. बिहार की राजधानी पटना से छपने वाले अखबार दैनिक भास्कर के पहले पन्ने पर छपी खबर में बताया गया है कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद बिहार की नीतीश कुमार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने इस इस रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया है.
नीति आयोग की रिपोर्ट को नहीं मानते – अशोक चौधरी
अशोक चौधरी ने कहा कि हमलोग नीति आयोग की रिपोर्ट को नहीं मानते हैं, हमनें विगत पंद्रह वर्षों में जो काम किया है वह खुलेआम है. उधर अपने रिश्तेदारों को 53 करोड़ का ठिका दिलाने के आरोप का सामना कर कर रहे सूबे के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने भी इस रिपोर्ट को नकारते हुए अपना आंकड़ा पेश किया है.
जाँच घर की जगह चश्मे की दुकान से बन रही थी कोरोना की रिपोर्ट
सूबे की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में रोजाना नयी कड़ी जुड़ती चली जा रही है.विमान से यात्रा करने वाले कोरोना की फर्जी आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट के मामलें में बढ़ोतरी हुई है. पटना से छपने वाले प्रभात खबर में बताया गया है कि विमान से यात्रा करने वाले वाले यात्री उस जगह से जांच रिपोर्ट बनवाते हैं जहां जांच कराने की कोई मशीन नहीं है. बल्कि वह मामूली चश्मा का दुकान है. कथित डायग्नोस्टिक सेंटर पर छापेमारी के बाद यह खुलासा हुआ है.
नौकरशाही खास कर पुलिस अफसरों का रवैया ठीक नहीं – सीजेआई
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने शुक्रवार को एक सुनवाई के दौरान बड़े अफसरों, खासकर पुलिस अधिकारियों पर नाराजगी जतायी. बिहार के भोजपुर जिला के पिरो थाना में पुलिस कस्टडी में एक आरोपी महिला की मौत हो गयी थी. हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस छापेमारी में एक व्यवसायी के मौत का मामला सामने आया था. शुक्रवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि मुझे इस बात से आपत्ति है कि नौकरशाही, विशेषतौर पर इस देश के पुलिस अधिकारी किस तरह का व्यवहार कर रहे है.
अंग्रेजी अखबार हिन्दू में छपी एक खबर के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैंने एकबार नौकरशाहों, मुख्यतः पुलिस के बड़े अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की शिकायतों की जांच के लिए एक आयोग गठन करने का निर्णय लिया था. फिलहाल, इसे सुरक्षित रखना चाहता हूं. मुख्य न्यायधीश एन वी रमन्ना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ छतीसगढ़ के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर सिंह पाल की एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. उस याचिका में पुलिस अधिकारी ने मांग की है कि उन्हें अपराधिक मामलों में सुरक्षा दी जाए.
ज्ञात रहे कि पुलिस अधिकारी के यहां इसी साल के जून महीने में राज्य की आर्थिक अपराध शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की संयुक्त कारवाई हुई थीं. जिसमें पुलिस अधिकारी लार भारतीय दंड संहिता की धारा 124(A) और 153 (ए) के तहत मामला दर्ज किया था. सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा कि जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में आती है तो पुलिस अधिकारी उसके साथ दिखने का प्रयास करते हैं. जब दूसरी पार्टी सत्ता में आती है तो उस पुलिस अधिकारी पर करवाई करती है.
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