बिहार के नालंदा जिले में संदिग्ध परिस्थिति में 6 लोगों की मौत हो गई है. परिजनों का दावा है कि ज़हरीली शराब पीने से इनकी मौत हुई है. मरने वाले सभी लोगों की उम्र 45 से 55 साल के बीच है. शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर ज़हरीली शराब से हुई मौत ने शराबबंदी के दावों की पोल खोल दी है.
शराबबंदी के बाद से बहार में जहरीली शराब से मौत के मामले आते रहे हैं. जगह जगह देसी शराब बनाने के अवैध धंधे पनप रहे हैं. नालंदा में हुई इस घटना के संबंध में भी वहां के स्थानीय लोगों ने इलाके में चुलाई शराब बनाने की बात कही है. मृतकों की शराब पीने के बाद तबियत बिगड़ी और देखते ही देखते उनकी मौत हो गई.
आपको बता दें बिहार में 5 अप्रैल 2016 को शराबबंदी हुई थी. जिसके बाद से शराब के अवैध धंधे ने बिहार में सरकार की नाक के नीचे अपने पैर पसार लिए. बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी को एक कड़े कदम की तरह लिया गया फैसला माना गया. लेकिन ज़मीनी स्तर पर शराबबंदी अब भी एक बड़ा सवाल है.
शराबबंदी के बाद से कुछ इलाकों में देशी शराब बनाये जा रहे हैं तो कुछ इलाकों में तस्करी कर कई शराब में कलर और स्प्रिट की मात्रा बढ़ा कर इसे बेचा जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक मुनाफा हो. मुनाफे के इस खेल में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.
शराबबंदी वाले बिहार में साल 2021 में जहरीली शराब से 90 से अधिक लोगों की जान चली गई. 2016 से अबतक सिर्फ गोपालगंज में 36 लोगों की मौत ज़हरीली शराब से हुई है. इसकी पुष्टि कोर्ट में हुई थी. ये आंकड़े बताते हैं कि सूबे में शराबबंदी की स्थिति क्या है.
जहां एक ओर बिहार में शराब माफिया को रोकने में बिहार सरकार पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है. वहीं दूसरी ओर शराब से होने वाली मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इस विषय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार के ज्यादातर लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो गड़बड़ी कर रहे हैं. वहीं विपक्ष शराबबंदी को बड़ा फ्लाप बताते हुए सरकार पर हमला करने से चूक नहीं रही.