बिहार देश का सबसे गरीब राज्य- नीति आयोग

निति आयोग ने देश का पहला बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया है. इस सूचकांक के अनुसार बिहार को देश का सबसे गरीब राज्य बताया गया है. बिहार राज्य की 51.91% आबादी गरीब है. इस लिस्ट मे बिहार के बाद झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश क्रमिक रूप से आते हैं. नीति आयोग द्वारा जारी किए गए इस सूचकांक में केरल राज्य को सबसे अच्छी स्थिति मे बताया जा रहा है, जहाँ 0.71% लोग ही गरीब हैं.

नीति आयोग द्वारा इस सूचकांक के लिए 700 से अधिक जिलों के जिलास्तरीय गरीबी का तीन क्षेत्रों स्वास्थ्य, शिक्षा व जीनवस्तर से जुड़े 12 सूचकांकों के आधार पर आकलन किया गया है. इन 12 सूचकों में से 11 में बिहार शुरुवाती पाँच राज्यों में शामिल है. सबसे खराब मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूलिंग के साल सबसे कम, स्कूल में उपस्थिति सबसे कम, खाना बनाने के लिए गैस न होना, घर में बिजली न होना जैसे बिंदुओं पर बिहार अव्वल रहा. इसी के साथ बिहार में कूपोषितों की संख्या भी सबसे अधिक है.

इस रिपोर्ट के आने के बाद बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा कि नीति आयोग को बिहार आकर जमीन पर हकीकत देखनी चाहिए. स्वास्थ्य, शिक्षा में कितना सुधार हुआ है, यह देखना चाहिए. 6 घंटे में कहीं से भी राजधानी आ सकते हैं. शिक्षकों की बहाली, पोशाक योजना, मिड डे मिल योजना सब चल रही है.

ज्ञात रहे कि बिहार सरकार के मंत्री नीति आयोग की रिपोर्ट से ज्यादातर समय खफा रहे हैं. पिछले दिनों नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार के जिला अस्पतालों में प्रति लाख व्यक्तियों पर मात्र छह बेड है. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा तो बिहार में नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने इसे मानने से ही इंकार कर दिया था. इतना ही नहीं, स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी नीति आयोग की आलोचना की थी.

वहीं सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, “नीतीश के 16 साल, बिहार सबसे बदहाल.” उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार के पास कोई तार्किक जवाब नहीं है. जब राज्य हित में तथ्य, तर्क और सच्चाई के साथ सवाल पूछता हूं तो धरा के सबसे ज्ञानी 16 वर्षीय मुख्यमंत्री भड़क जाते हैं.

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