चमकी बुखार हादसे के बाद एक बार फिर से बीते 01 दिसंबर को उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर से ऐसी खबर आई जिसने पूरे बिहार की चिकित्सा व्यवस्था का पर्दाफास कर दिया. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को डॉ. एनडी साहू ने 65 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया था. कुछ समय पश्चात सभी मरीजों को जानकारी मिली कि ऑपरेशन के दौरान उनकी आँखों में इन्फेक्शन फैल गया है, जिसके कारण उनकी आँखें निकालनी होगी. अन्यथा इन्फेक्शन कैंसर का रूप ले लेगा और उनकी मौत भी हो सकती है.
मुख्यमंत्री जी और भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री को जनता से कोई लेना-देना नहीं: तेजस्वी यादव
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन के लिए कान्ट्रैक्ट पर डॉ एनडी तिवारी को बुलाया गया था. उन्होंने इससे पहले आई हॉस्पिटल में कोई सर्जरी नहीं की थी. घटना के दिन से 27 नवंबर तक एनडी तिवारी लगातार आई हॉस्पिटल में सर्जरी करते रहे.
गरीब मरीज या मजबूर मरीज?
ज्ञात रहे कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए सामान्यतः कम से कम 20 से 25 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन इस अस्पताल में ये ऑपरेशन फ्री में भी किया जाता है. यह अस्पताल उत्तर बिहार के गरीब-गुरबे समाज के लिए एकमात्र विकल्प रहा है. परंतु अस्पताल प्रशासन के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने अस्पताल की छवि के साथ-साथ गरीबों को आँख के इलाज के लिए नया विकल्प खोजने को मजबूर कर दिया है. इस से पहले भी अस्पताल कर्मचारियों की शिकायतें आती रही है. लेकिन 65 लोगों के आँख गंवाने के बाद शायद ही कोई गरीब अपना ऑपरेशन इस अस्पताल में करवाना चाहे.
वर्तमान स्थिति
अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक 65 लोगों में से 16 लोगों की आँखें निकली जा चुकी है और 30 लोगों के आँखों की रौशनी जा चुकी है. इन्फेक्शन सभी 65 मरीजों में फैल गया जिसके बाद अस्पताल पर कार्रवाई करते हुए इसके ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया गया है. मुजफ्फरपुर के आयुक्त, जिलाधिकारी, सिविल सर्जन समेत 23 लोगों पर इस मामले में परिवाद दायर किया गया है.
गंभीर रूप से बीमार मरीजों को मुजफ्फरपुर के ही एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया. बाद में हालात बिगड़ने पर उन्हें बस से पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल भेजा गया जहां 9 मरीजों की हालत और बिगड़ गई है जिसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सभी को दिल्ली एम्स में भेजा जायेगा. इस बीच एक राहत भरी खबर ये मिली कि हैदराबाद से कॉर्निया मंगा कर आईजीआईएमएस में भर्ती एक मरीज की आँख में ट्रांसप्लांट किया गया. जिसका नेतृत्व डॉ. विभूति पी सिन्हा ने किया.
उदासीन सरकार
घटना के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि “देश की सबसे बदहाल और फिसड्डी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का एक नजारा देखिए. मुजफ्फरपुर में 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया, 1 ही टेबल पर सबका ऑपरेशन, रोशनी तो दूर की बात, सभी की आँखें निकालनी पड़ी. मुख्यमंत्री जी और भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री को जनता से कोई लेना-देना नहीं.”
इस घटना की बात बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी उठाई गई थी. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जांच के आदेश दिए थे. आपको बात दें, अभी तक किसी भी मरीज के लिए मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल से एसकेएमसीएच और फिर पटना का आईजीआइएमएस और अब दिल्ली का एम्स अस्पताल. इसके बावजूद भी इन मरीजों का क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता.