त्रिपुरा में कथित धार्मिक तोड़फोड़ की हालिया घटनाओं पर रिपोर्टिंग करने वाली दो महिला पत्रकारों पर धारा 41 के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन पर सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने, शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने और आपराधिक साजिश रचने की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है.
स्थानीय विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की शिकायत के आधार पर उनाकोटी जिले के फतिकरोय पुलिस स्टेशन में समृद्धि के सकुनिया और स्वर्ण झा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्हें 21 नवंबर को पेश होने को कहा गया है.
अपने ट्वीट्स में दोनों पत्रकारों ने दावा किया कि वे पिछले महीने की सांप्रदायिक अशांति पर “ग्राउंड रिपोर्ट” के लिए त्रिपुरा में थे और उन्होंने पुलिस की अनुमति के साथ-साथ उस के लिए सुरक्षा मांगी है. हालांकि, वीडियो ट्वीट में, उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने सुरक्षा के आधार पर उनके यात्रा विवरण एकत्र किए और बाद में उनके होटल के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया और उन्हें कहीं भी जाने से रोक दिया. पत्रकारों ने दावा किया कि जब पुलिस ने बाद में उन्हें जल्दी पूछताछ के लिए आने के लिए कहा, जिसपर उन्होंने अपने वकीलों से सलाह ली और बाद में पुलिस ने उन्हें 21 नवंबर को पेश होने के लिए एक नोटिस जारी किया.
पत्रकारों द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई प्राथमिकी की एक प्रति से पता चला कि शिकायतकर्ता कुमारघाट की कंचन दास थी. प्राथमिकी में यह दावा किया गया है कि “त्रिपुरा में सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने के साथ-साथ हिन्दू मुस्लिम समुदायों के बीच सद्भाव को प्रभावित करने वाली घटना में विहिप को बदनाम करने के लिए आपराधिक साज़िश रची गई है.
स्वर्णा झा ने एक वीडियो में कहा, वे कवरेज के बाद अधिकारियों से हिंसा की जानकारी लेने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन गए लेकिन उनसे नहीं मिल सके. बाद में उन्हें धर्मनगर पुलिस स्टेशन से शाम को एक फोन आया जिसमें उन्होंने उनके यात्रा विवरण के बारे में पूछा, जो उन्होंने वकीलों से परामर्श के बाद पुलिस को दे दिया. हमने पूछा कि इतने कम समय में वे हमें कैसे समन कर सकते हैं?हमने उन्हें पेश होने की तारीख बदलकर 21 नवंबर करने को कहा और उन्होंने इसे बदल दिया. वीडियो के अंत में उनके साथ पुलिस के इस व्यवहार पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या ग्राउंड रिपोर्टिंग करना एक अपराध है?