भारत सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया की चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है. विदेश राज्य मंत्री विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद में जानकारी देते हुए कहा, यह काम पिछले 6 दशक से चल रहा है. भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन ने अवैध कब्जा कर रखा है. वर्तमान में भी चीन उत्तरी लद्दाख की पैंगोंग झील पर एक ब्रिज बना रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने कभी इस अवैध कब्जे की बात को स्वीकारा नहीं है.
सदन को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने जानकारी दी कि भारत सरकार ने पैंगोंग झील पर चीन द्वारा बनाए जा रहे एक पुल पर ध्यान दिया है. बनाए जा रहे इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं. भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे.

बीते दिनों संसद में राहुल गांधी ने भी चीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. राहुल ने कहा था कि केंद्र की गलत नीतियों की वजह से पाकिस्तान और चीन साथ मिलकर भारत को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आपको बता दें, भारत ने गुरुवार को घोषणा की कि बीजिंग भारतीय दूतावास के मामलों के प्रमुख 2022 शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे. बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश की कुछ जगहों के नाम बदले जाने की चीन की हरकत पर भी सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है.
चीन की इन हरकतों पर किए गए सवाल के जवाब में सरकार ने लिखित जवाब देते हुए कहा है कि हम आशा करते हैं कि दूसरे देश भारत की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करेंगे. सरकार ने बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और सैन्य कम करने के लिए बातचीत भी जारी है. इनमें तीन प्रमुख बिन्दु हैं : दोनों पक्षों को एलएसी का कड़ाई से सम्मान और पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को एकतरफा यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए.