चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को “पवित्र और अहिंसक” बताते हुए, चीन की राष्ट्रीय विधायिका ने भूमि सीमा के संरक्षण और शोषण में एक नया कानून अपनाया है जिसका प्रभाव भारत चीन सीमा विवाद पर पर सकता है.
सरकारी सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को विधायिका सत्र की समापन बैठक में कानून को मंजूरी दी.
यह कानून यह निर्धारित करता है की देश की सरकार इन सारी चीज़ों को सुनिश्चित करे- सीमा रक्षा को मजबूत करना, आर्थिक और सामाजिक विकास का समर्थन करने के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए उपाय करना, लोगों के जीवन और वहां काम करने के लिए प्रोत्साहित करना और उनका समर्थन करना और सीमा रक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक विकास के बीच समन्वय को बढ़ावा देना.
पिछले हफ्ते, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई घटनाओं ने सीमा पर शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसका असर स्वाभाविक रूप से भारत चीन रिश्तों पर पड़ेगा.
पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के बीच नया भूमि सीमा कानून अपनाया गया जिससे भारत-चीन सीमा विवाद में गतिरोध बढ़ सकता है.