चीन का दो तरफा रुप- एक तरफ विकास के चर्चे और दूसरी ओर जेल की सजा

चीन पर जहां एक ओर कोरोना वायरस के केंद्र होने और दुनिया में इसे फैलाने का आरोप है तो वहीं चीन ने आज भी अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखा.

चीन अपने खिलाफ कोई भी बात सुनने की हिम्मत नहीं रखता है. इसी कारण से आज भी चीन में किसी को खुलकर अपनी बात रखने की इजाजत नहीं है और अगर किसी ने हिम्मत कर कुछ कर दिया तो उसे उसकी गलतियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा भुगतनी पड़ती है.

बोलने की स्वतंत्रता दुनिया में हर व्यक्ति को होनी चाहिए और इसी संदर्भ में एक पूर्व वकील व नागरिक पत्रकार के तौर पर “झांग झान” ने फरवरी 2020 में वुहान की यात्रा कर, यह पता लगाने की कोशिश की थी कि आखिर इस महामारी के बीच वहां के हालात कैसे है? उन्होंने लोगों को वहां की जमीनी जानकारी देनी चाही. झांग ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि वुहान में सरकारी अधिकारियों ने कैसे स्वतंत्र पत्रकारों को हिरासत मे लिया और कोरोना वायरस के मरीजों के परिवारों को भी परेशान किया.

इसी बीच झांग मई 2020 में वुहान से लापता हो गई थी. बाद में यह पता चला कि उन्हें शांघाई में हिरासत में ले लिया गया जिसके बाद उन्हें “झगड़ा करने और परेशानी बढ़ाने” के लिए चार साल की सजा सुना दी गई.

झांग की गिरफ्तारी मानवाधिकारों पर एक शर्मनाक हमला था. उन्हें सिर्फ इस आधार पर हिरासत में लिया गया क्योंकि चीनी सरकार के मुताबिक वे महामारी के बारे में सरकारी गोपनीयता के बीच वुहान मे जो हो रह था उसे बाहर निकालने की कोशिश की.

झांग ने अपने कैद के विरोध में भूख हड़ताल शुरू कर दिया और उनके परिवारों का कहना है कि उनकी हालत खराब होने के बावजूद उन्हें चिकित्सकीय आधार पर भी अगर रिहा नहीं किया गया तो वे आने वाले सर्दियों के दिनों मे जिंदा नहीं रह पाएगी. भुख हड़ताल के कारण वे इतनी कमजोर पर गयी है कि वह खुद से चल फिर भी नहीं पाती.

झांग के मुकदमे से पहले अधिकारियों ने उन्हें जबरदस्ती कर खाना खिलाया और उनपर लगे हुए फीडिंग-ट्यूब पर भी रोक लगा दिया. जेल अधिकारियों ने झांग के भूख हड़ताल पर रहने की वजह से उन्हें सजा के तौर पर तीन महीने तक 24 घंटो के लिए बेड़ियों और हाथों पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर कर दिया.

एमनेस्टी इंटरनेशनल में चीन के प्रचारक ‘ग्वेन ली’ ने कहा कि “झांग को कभी जेल नहीं जाना चाहिए था. लेकिन अब वो जेल में मरने का गंभीर जोखिम प्रतीत होता है. चीनी अधिकारियों को उसे तुरंत रिहा करना चाहिए ताकि वह अपनी भूख हड़ताल को समाप्त कर सके और उचित चिकित्सा प्राप्त कर सके जिसकी उसे सख्त जरूरत है”.

एक ओर चीन अमेरिका की ही तरह “सुपरपॉवर” बनने की जद्दोजहद में लगा है जिसके लिए उसने अपने देश के अर्थव्यवस्था और विकास मे कोई कमी नहीं छोड़ी है तो वहीं दूसरी तरफ उसने खुद अपने ही देश के लोगों की आवाजों पर प्रतिबंध लगा रखा है और अगर कोई आवाज़ उठाने की कोशिश करता है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा सुना दी जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *