भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारियों की नियुक्ति के नियमों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार ने कुछ प्रस्ताव पेश किए हैं. केंद्र में नियुक्ति के लिए आईएएस की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने आईएएस की नियुक्ति के नियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया है. जिसको लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से 25 जनवरी तक प्रतिक्रिया मांगी है. इन प्रस्तावों पर कुछ राज्यों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
क्या बदलाव किया जाएगा
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग-डीओटीपी ने केंद्र में आईएएस अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति के मौजूदा नियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. डीओटीपी ने बीते 12 जनवरी को राज्यों को लिखे खत में कहा है कि केंद्र सरकार बनाम इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस कैडर रूल्स 1954 के रूल 6 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है.
इसमें एक और शर्त जोड़ने की बात कही गई. विभाग ने कहा, केंद्रीय डेप्युटेशन के लिए असल अधिकारियों की संख्या का निर्धारण केंद्र सरकार करेगी. इसके लिए केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार से सलाह मशविरा करेगी. असहमति की स्थिति में राज्य सरकार को केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी रूप देना होगा. इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अगर कोई राज्य सरकार संबंधित अधिकारी को कार्यमुक्त करने में विफल रहती है, तो उसे अपने आप ही कार्यमुक्त माना जाएगा.
केंद्र सरकार द्वारा आईएएस कैडर रूल 1954 के नियम 6 में चार संशोधन प्रस्तावित हैं. ये 4 प्रमुख प्रस्ताव हैं:
- यदि राज्य सरकार आईएएस अधिकारी को केंद्र में भेजने में देरी करती है और तय समय के भीतर निर्णय को लागू नहीं करती है, तो अधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा तय तारीख से राज्य कैडर से रिलीव कर दिया जाएगा.
- केंद्र राज्य के परामर्श से केंद्र सरकार में नियुक्त किए जाने वाले आईएएस अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगा और बाद में राज्य ऐसे अधिकारियों के नामों को पात्र बनाएगा.
- केंद्र और राज्य के बीच किसी भी असहमति के मामले में, फैसला केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य केंद्र के निर्णय को “एक तय समय के भीतर” लागू करेगा.
- विशेष स्थिति में जहां केंद्र सरकार को “जनहित” में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, राज्य अपने निर्णयों को एक तय समय के भीतर प्रभावी करेगा.
क्या हैं मौजूदा नियम
मौजूदा नियम के अनुसार आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति केंद्र सरकार की तरफ से होती है. इन्हें अलग-अलग कैडर दिए जाते हैं. जिसके तहत ये किसी राज्य में अपनी सेवाएं देते हैं. केंद्र सरकार को भी कामकाज के लिए इन अधिकारियों की जरूरत होती है. ऐसे में वो अपने डेप्युटेशन के तहत इन्हें तैनात करती है. इसके लिए राज्य सरकारों से अधिकारियों की लिस्ट मांगी जाती है. केंद्र सरकार के डेप्युटेशन के तहत आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति आईएएस कैडर रूल्स 1954 के तहत होती है.
आपत्ति
खबरों के मुताबिक ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में इस संशोधन को पेश कर सकती है. मगर इस बीच कुछ राज्य सरकारों ने इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जाहीर की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मेघालय ने केंद्र सरकार के इन प्रस्तावों पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं.
इस संबंध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर अपनी असहमति दर्ज की है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है,
प्रस्तावित बदलावों से संबंधित अधिकारी और राज्य सरकार की सहमति के बिना ही केंद्र सरकार को आईएएस अधिकारियों को स्थानांतरित करने का अधिकार मिलेगा. ये भारतीय संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है. इससे राज्य सरकार के प्रशासन पर असर पड़ेगा. केंद्र सरकार अचानक से किसी अधिकारी को अपने डेप्युटेशन में तैनात करेगी. इससे राज्य सरकार की प्रशासनिक योजनाएं बुरी तरह से प्रभावित होंगी.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर अपनी आपत्ति जाहीर की है. गहलोत ने कहा है कि इससे राज्य में पोस्टेड आईएएस अफसरों में निर्भीक होकर और निष्ठा के साथ काम करने की भावना में कमी आएगी.

वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार अखिल भारतीय सेवाओं के काडर नियमों में संशोधन का पुरजोर विरोध करती है एवं मांग रखती है कि पूर्वानुसार काडर नियमों को यथावत रखा जाए.
