बिहार में इन दिनों शादी-ब्याह का सीजन चल रहा है. स्वाभाविक है कि शादी-ब्याह में भोज का भी आयोजन किया जाता है लेकिन आने वाले दिनों में बिहार में भोज का आयोजन करना एक बड़ी चुनौती हो जाएगी. पिछले कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि भोज में थर्मोकोल के पत्तल, कटोरी,प्लास्टिक के गिलास आदि का प्रचलन एक सामान्य सी बात हो गई है. लेकिन अब 14 दिसम्बर के बाद थर्मोकोल के पत्तल, गिलास कटोरी आदि की बिक्री, उत्पादन, परिवहन और उपयोग पर बिहार सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है.
प्रतिबंध के कारण राज्य में अब थर्मोकोल का कोई भी उत्पाद नहीं बिकेगा. थर्मोकोल से बने उत्पाद सेहत के लिए उपयुक्त नहीं हैं. थर्मोकोल के उत्पाद को रीसायकल भी नही किया जा सकता है. यह पर्यावरण हितैषी भी नहीं है. न यह सड़ता है न ही कागज की तरह गल पाता है. थर्मोकोल को जलाने पर विषैली गैस निकलती है जिसकी वजह से कैंसर जैसा रोग उत्पन्न होता है. इसके अलावे यह मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को धीरे धीरे नष्ट करता है.
थर्मोकोल उत्पादों पर यह प्रतिबंध 14 दिसम्बर की मध्य रात्रि से लागू हो रहा है यानी 15 दिसम्बर से राज्य में थर्मोकोल से बने पत्तल, गिलास, कटोरी आदि की बिक्री और उपयोग की अनुमति नहीं होगी. अगर कोई दुकानदार या उपभोक्ता इसका उल्लंघन करते पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।प्रतिबंध को लेकर दिशा निर्देश भी बिहार प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की ओर से जारी किया जा चुका है.
पर्यावरण विभाग,बिहार सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में इस बात की जानकारी दी गई है कि अगर इन नियमों का कोई भी व्यक्ति उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी तथा इसके तहत 5 साल की जेल के साथ ही 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान लागू किया गया है.
दरअसल न सिर्फ बिहार सरकार बल्कि भारत सरकार ने भी पूरे देश में थर्मोकोल उत्पादों की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. केंद्र सरकार द्वारा 12 अगस्त 2021 को प्रकाशित जारी गजट ऑफ इंडिया के अनुसार पूरे देश में थर्मोकोल से बने और एकल उपयोग में आने वाली वस्तुओं को 1 जुलाई 2022 से पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पहले ही बिहार में 15 दिसंबर 2021 से थर्माकोल से बनी वस्तुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. पर्यावरण संरक्षण की दृष्टिकोण से बिहार सरकार का यह निर्णय काबिले तारीफ़ है.