शुक्रवार को कोविड-19 मुआवजे के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों फटकार लगाई है. कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि सभी प्रकार के दावों को स्वीकार करें. भले ही वे ऑफलाइन आए हों या अनलाइन. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी आवदान को केवल इस बिन्दु पर खारिज नहीं किया जा सकता कि आवेदन ऑफलाइन दायर किए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कोरोना से हुए मौतों के लिए मुआवजे से संबंधित मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने पहले के आदेश को दोहराते हुए निर्देश दिया कि योग्य दावों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को ऑफलाइन दायर दावों को खारिज करने के फैसले की समीक्षा के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. बेंच ने कहा कि राज्यों को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कोई दान दे रहे हैं.

सभी राज्यों को योग्यता के आधार पर आवेदन स्वीकार करना होगा. वह आदेवन ऑनलाइन किया गया हो या ऑफलाइन. केवल इस आधार पर कोई आवेदन खारिज नहीं होगी कि आवेदन ऑफ़लाइन दायर किया गया. इसलिए, जहां कहीं भी दावों को ऑफलाइन दायर करने के आधार पर खारिज किया गया, राज्य सरकारें ऐसे निर्णय की एक सप्ताह के भीतर समीक्षा करें.
– सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि कई राज्यों में आवेदनों की एक बड़ी संख्या को खारिज कर दिया गया है. महाराष्ट्र राज्य सरकार ने मुआवजे के संबंध में आए 2,27,107 दावों में से 61,848 दावों को खारिज कर दिया. इन आवेदनों में से ज्यादातर केवल इस आधार पर किए गए कि आवेदन ऑफलाइन जमा किए गए. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की उक्त बेंच ने चिंता जाहीर करते हुए कहा, “यदि कोई तकनीकी गड़बड़ी पाई जाती है तो राज्य सरकारों एक कल्याणकारी राज्य के रूप में पीड़ित परिवारों को उक्त दोषों को दूर करने का एक अवसर दे.”