सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुए मौत के लिए मुआवजे का भुगतान नहीं करने पर बिहार के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है.
जस्टिस एमआर शाह और संजीव खन्ना की बेंच ने बिहार और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिवों को दोपहर 2 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट के सामने उपस्थित होने का आदेश दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा, “वे कानून से ऊपर नहीं हैं. उन्हें दोपहर 2 बजे उपस्थित होने के लिए कहें.”
यह आदेश उन लोगों के परिवार के सदस्यों को ₹4 लाख के मुआवजे के भुगतान से संबंधित याचिका पर पारित किया गया था, जिन्होंने COVID-19 के कारण दम तोड़ दिया.
30 जून, 2021 को, शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को आदेश दिया था कि वह उन व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को मुआवजे के भुगतान के लिए दिशानिर्देश तैयार करे, जिन्होंने कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया था.

न्यायालय ने अनुग्रह सहायता के रूप में प्रदान की जाने वाली राशि के बारे में निर्णय लेने का अधिकार एनडीएमए के विवेक पर छोड़ दिया था.
इसके बाद, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उसने कोविड-19 से मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 50,000 रुपये के मुआवजे की सिफारिश की है.
कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में केंद्र की इस दलील को स्वीकार कर लिया था कि मृतक के परिजनों को ₹50,000 का भुगतान किया जाएगा.
अदालत ने पिछले साल पारित एक आदेश में कहा था, “मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये की राशि का भुगतान किया जाएगा और यह केंद्र और राज्य द्वारा विभिन्न परोपकारी योजनाओं के तहत भुगतान की गई राशि से अधिक होगी.”
कौन है बिहार के मुख्य सचिव?
ज्ञात रहे कि बिहार के मुख्य सचिव के रूप में 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आमिर सुबहानी ने पिछले महीने ही अपना पद संभाला है.

एक तरफ जहां सरकार कोरोना के नाम पर अपने काम गिनवा कर नंबर बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना से हुए मौत के लिए मुआवजे की राशि नहीं देने पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार सुननी पड़ रही है. ऐसे में सवाल तो बनता ही है कि क्या सरकार सिर्फ अपने नंबर बढ़ाने पर ही ध्यान दे रही है?