कोरोना: मुआवजे का भुगतान न होने पर सवाल पूछा तो बिहार के मुख्य सचिव की ऑडीयो खराब हो गई

कोरोना से हुए मौत के लिए मुआवजे की राशि का भुगतान न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कल दोपहर दो बजे बिहार और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था.

बार एंड बेंच नामक मीडिया पोर्टल के मुताबिक कोर्ट के आदेशानुसार बिहार और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव विडिओ कांफ्रेंस के माध्यम से कोर्ट के सामने उपस्थित हुए. जिसमें आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव ने कोर्ट के सवालों का तथ्यों के साथ जवाब दिया लेकिन वहीं बिहार के मुख्य सचिव जवाब देने की बजाए तकनीकी गड़बड़ी का हवाला देकर निकलते बने.

दरअसल कोर्ट की कार्रवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव उपस्थित तो थे लेकिन उन्होंने बेंच से कोई बातचीत नहीं की. कारण बताया गया ऑडीयो कनेक्टिविटी में दिक्कत को. हालांकि बिहार सरकार की ओर से पेश हुए वकील की ऑडीयो कनेक्टिविटी ठीक थी. इसके बावजूद भी सरकार की ओर से कोई तथ्यात्मक जवाब देने की बजाए बस गोल-मटोल किया गया.

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ऑडीयो कनेक्टिविटी या सिर्फ एक बहाना?

इस मामले में जब हमने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के सरकारी नंबर पर बातचीत किया और सवाल पूछा कि “आखिर कैसी तकनीकी दिक्कत आ गई थी” तो उन्होंने जवाब दिया कि, “हम ऐसी जानकारी मुहैया नहीं कराते, इसके लिए आपको सुप्रीम कोर्ट से पूछना होगा .”

ध्यान देने वाली बात है कि अगर बिहार के मुख्य सचिव के पास कोई संतोषजनक जवाब था तो उन्होंने सरकारी वकील को क्यों नहीं उपलब्ध कराया? अगर सचिव की ऑडीयो कनेक्टिविटी गड़बड़ हो गई तो क्या उनके जवाब को वकील के माध्यम से बेंच के समक्ष नहीं रखा जा सकता था?

दरअसल बिहार सरकार की ओर से उपस्थित वकील कोर्ट के समक्ष कोई संतोषजनक जवाब देने की बजाए लीपापोती कर आए. उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि गरीबों और अनपढ़ लोगों तक पहुंचने का हर संभव प्रयास किया जाएगा ताकि वे मुआवजे के लिए अपना आवेदन कर सकें.

बिहार सरकार की ओर से दिए गए इस जवाब से कई चौंकाने वाले सवाल खड़े हो रहे है. कोरोना की तीसरी लहर चल रही है लेकिन क्या अभी तक सरकार के पास कोरोना से मरने वाले लोगों का कोई आँकड़ा ही नहीं है? क्या सरकार पिछले कई सालों से अभी तक ऐसे लोगों से संपर्क ही नहीं कर पाई है? या सरकार मुआवजा देने की मंशा ही नहीं रखती और कोर्ट के साथ जनता को भी सिर्फ गुमराह करना चाहती है?

मुख्य सचिव ऑनलाइन काम नहीं कर पा रहे तो बच्चे ऑनलाइन पढ़ेंगे कैसे?

कोरोना के कारण सबसे अधिक पठन-पाठन का कार्य बाधित रहा है. ऐसे में सरकार बच्चों के पढ़ाई -लिखाई का कार्य ऑनलाइन माध्यम से कराने का दावा कर रही है. लेकिन राज्य भर में इंटरनेट और तकनीक की उपलब्धता किसी से छुपी नहीं है.

जाहीर है बिहार के मुख्य सचिव के लिए उत्तम स्तर के इंटरनेट सेवा और अन्य तकनीकी सुविधाओं की व्यवस्था होगी. इसके बावजूद भी अगर मुख्य सचिव कोर्ट के सामने ऑडियो कनेक्ट करने में लटपटा गए तो उन लाखों बच्चों की पढाई कैसे हो रही है जो न्यूनतम तकनीकी सुविधाओं के साथ ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करने को मजबूर है.

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अब सबसे अहम सवाल ये है कि सरकार किसी एक मुद्दे पर तो झूठ बोल ही रही है. सरकार के अनुसार अगर राज्य में इंटरनेट और तकनीकी सुविधाएं संतोषजनक है जिससे तमाम बच्चों की पढ़ाई ठीक ढंग से हो रही है, तो क्या उनके मुख्य सचिव झूठ बोल रहे है और सवालों से बचने के लिए ऑडियो कनेक्टविटी का ढोंग मात्र कर रहे हैं?

और अगर बिहार के मुख्य सचिव सच बोल रहे हैं और उनके अनुसार सच में ऑडियो कनेक्टविटी में दिक्कत आई है तो जाहीर है सरकार राज्य भर में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.

कौन है बिहार के मुख्य सचिव जिनकी ऑडियो कनेक्ट नहीं हो पाई

ज्ञात रहे कि बिहार के मुख्य सचिव के रूप में 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आमिर सुबहानी ने पिछले महीने ही अपना पद संभाला है.

बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी
क्या कहा कोर्ट ने?

सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बिहार सरकार उन तमाम परिवारों तक पहुँचने का प्रयास करे जिसके किसी सदस्य ने कोरोना के कारण दम तोड़ा हो. साथ ही अदालत ने उन बच्चों की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया जिन्होंने कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा “पूरे देश में बाल स्वराज पोर्टल की जानकारी के अनुसार, लगभग 10,000 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया है. इसलिए उनके लिए मुआवजे के लिए आवेदन करना बहुत मुश्किल होगा. हम राज्यों को उन बच्चों तक पहुंचने का निर्देश देते हैं जिनके पास है माता-पिता या जीवित माता-पिता दोनों को खो दिया है और जिनका विवरण पहले से ही बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया गया है, ताकि उन्हें मुआवजे की राशि का भुगतान किया जा सके. हम संबंधित राज्यों को बाल स्वराज पोर्टल पर जानकारी के बारे में पूरी जानकारी/विवरण साझा करने का भी निर्देश देते हैं.”

एक तरफ राज्य सरकार कोरोना काल में लोगों का उद्धार करने का राग अलाप रही है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना से हुए मौत के लिए मुआवजा देने से बचने के लिए इतना बचकाना बहाना बना रही है!

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