कोरोना संकट ने जहां दुनिया के विभिन्न देशों से सिल्क सिटी का कारोबार ठप कर दिया. वहीं अब रूस व यूक्रेन में युद्ध का असर
यहां भी दिखने लगा है. सिल्क वस्त्रों के निर्यातक उज्जैन जैन मालू ने बताया कि भागलपुर सिल्क सिटी पूरी दुनिया में सिल्क व अन्य वस्त्रों का निर्यात करती है. यदि युद्ध बढ़ा तो यूरोपीय देशों में व्यापक रूप से व्यापार प्रभावित होगा. अभी 20 फीसदी तक कारोबार प्रभावित होने की संभावना है.
सिल्क उद्यमी जिया उर रहमान ने बताया कि भागलपुर से वर्षों से सिल्क खासकर तसर सिल्क कपड़े का अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. अब तो लिनेन, काॅटन व अन्य कपड़े का निर्यात भी हो रहा है. रूस का अपने देश से पुराना दोस्ताना संबंध रहा है. इस कारण से व्यापारिक संबंध बेहतर रहे हैं. भागलपुर के सिल्क कपड़े की मांग हमेशा रही है परंतु जब से युद्ध के हालात बने हैं, तब से अब तक 20 करोड़ तक का ऑर्डर नहीं मिला.

इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सीए प्रदीप झुनझुनवाला ने बताया कि “रूस और यूक्रेन के युद्ध के दुष्परिणाम से भागलपुर भी अछूता नहीं रहा. खासकर सिल्क उद्योग में झटका लगने लगा है. भागलपुर से प्रत्येक वर्ष स्कार्फ़, जिसे स्टॉल भी कहते हैं, का लगभग सौ करोड़ रुपयों का निर्यात रूस और यूक्रेन में किया जाता है. उन्होंने बताया कि वहां प्रतिदिन की दिनचर्या में स्कार्फ़ पहनना शामिल है. साथ ही सिल्क के वस्त्र, चादरें व लुंगी, मकई, केले का पाउडर,आम, लीची आदि का भी अप्रत्यक्ष रूप से रूस को निर्यात किया जाता है.”
इधर बुनकर प्रतिनिधि इबरार अंसारी ने कहा कि “ऑर्डर मिलना बंद होने से अभी तो असर शुरू हुआ है. यदि युद्ध के हालात बढ़ें तो इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा. भागलपुर का पूरा निर्यात ही बंद हो जायेगा.”
सिल्क व लिनेन निर्यातक उद्यमी प्राणेश राय ने बताया कि “सिल्क व कपड़ा उद्योग को तिहरी मार पड़ी है. पहले कोरोना, फिर ठंड व महंगाई व अब यूक्रेन व रूस में युद्ध होने से मिडिल इस्ट में भी युद्ध के हालात बने हुए हैं. यहां से नये ऑर्डर मिलना बंद हो गये. सभी वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. न्यूजीलैंड व अन्य देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से यहां से कोई भी कारोबार संभव नहीं है. लिनेन, कॉटर व फैंसी कपड़े का ऑर्डर मिलना बंद हो गया है.”