आशंका जताई जा रही है कि भारत में जल्द ही पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफा होने वाला है. यह इजाफा 10 रुपये से अधिक का हो सकता है. कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की क़ीमत का करीब आठ सालों में पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुँच जाना. बुधवार की रात कच्चे तेल की क़ीमत एक दिन पहले के मुकाबले 3.14 डॉलर बढ़कर 100.795 डॉलर प्रत्येक बैरल तक पहुँच गया. हालांकि गुरुवार को कमी भी देखने को मिली. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की क़ीमत में उछाल आने की वजह से भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. विश्लेषकों के मुताबिक पाँच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफा हो सकता है.
क्या है कच्चा तेल और कहाँ से आता है यह?
आसान भाषा में समझे तो ज़मीन से सीधा निकलने वाला पेट्रोलियम कच्चा तेल कहलाता है. कच्चा तेल प्रागैतिहासिक शैवाल के संरक्षित अवशेषों से बनता है. जो समुद्र की तलहटी में बिना ऑक्सीजन के जमा होता है. इन तेल को जमाकर रखने वाली चट्टान 600 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुरानी है, और सबसे कम आयु की चट्टान लगभग 1 मिलियन वर्ष पुरानी है.

समुद्र तल से निकाल कर इस तेल को तेल रिफाइनरियों में ले जाया जाता है. यहाँ विभिन्न तरीकों से इसे पेट्रोल, डीजल आदि में बदला जाता है. वर्तमान में सऊदी अरब, रूस, कनाडा, ईरान, इराक और अमेरिका जैसे देश विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं. भारत भी इन्ही देशों से तेल मंगवाता है. कच्चे तेल का आयात करने वाला भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में लगभग अस्सी प्रतिशत तेल का आयात किया जाता है.
कैसे निर्धारित होती है पेट्रोल-डीजल की क़ीमत
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की क़ीमत बैरल के आधार पर निर्धारित होती है. एक बैरल में करीब 159 लीटर तेल होता है. क़ीमत बैरल के हिसाब से डॉलर में दी जाती है. भारत में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स पर कच्चे तेल की ट्रेडिंग रुपये में होती है. ऐसे में भारत की तरफ से दूसरे देशों को कच्चे तेल की कीमत डॉलर में दी जाती है. यानी अगर रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है तो हमें कम कीमत चुकानी पड़ेगी और अगर रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है तो हमें अधिक कीमत चुकानी होगी.

कच्चे तेल की क़ीमत में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों में 40 पैसे तक की बढ़ोतरी करती है. वर्तमान के 95 डॉलर के एव्रेज दर से आँकलन करें तो 27 डॉलर का इजाफा हुआ है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दाम 10.8 रुपये तक बढ़ सकते हैं. और यह बढ़ोतरी संभवतः विधानसभा चुनाव के बाद हो सकती है.
भारत का पेट्रोल-डीजल की किमत में योगदान
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की क़ीमत के अलावे सरकार द्वारा लगाए जा रहे टैक्स भी भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतों पर प्रभाव डालते हैं. पिछले दिनों भारत में पेट्रोल डीजल की क़ीमत ने हर दिन एक रिकॉर्ड बनाया. कच्चे तेल की क़ीमत पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, मगर टैक्स सरकार अपने स्तर से घटा-बढ़ा सकती है.

आमतौर पर जिस क़ीमत पर हम तेल खरीदते हैं, उसमें करीब पचास प्रतिशत से ज्यादा टैक्स होता है. इसमें करीब 35 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी और 15 प्रतिशत राज्यो का वैट या सेल्स टैक्स, दो प्रतिशत कस्टम ड्यूटी होती है. इसके साथ ही डीलर भी अपना कमीशन जोड़ता है. हर राज्य में पेट्रोल और डीजल की क़ीमत अलग-अलग हैं. क्योंकि राज्यों में वैट की दर 17 से 37 प्रतिशत तक है. टेबल (उदाहरण) के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं.
एक लीटर कच्चे तेल की कीमत | ₹39.92 |
एक लीटर पेट्रोल की रिफाइनिंग, भाड़ा, तेल कंपनियों का कमीशन, एंट्री टैक्स खर्च | ₹2.08 |
डीलर को एक लीटर पेट्रोल की कीमत | ₹42 |
एक लीटर पेट्रोल पर केन्द्र की एक्साइज ड्यूटी | ₹17.98 |
एक लीटर पेट्रोल पर डीलर का कमीशन | ₹3.66 |
अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत | ₹63.64 |
दिल्ली सरकार के 27% वैट लगाने के बाद फाइनल कीमत | ₹80.82/लीटर |
कुछ साल पहले तक भारत में तेल कंपनियां खुद दाम नहीं तय करतीं थीं, इसका फैसला सरकार के स्तर से होता था. मगर जून 2017 से सरकार ने पेट्रोल के दाम को लेकर अपना नियंत्रण हटा लिया. कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन उतार-चढ़ाव के हिसाब से कीमतें तय होंगी.
अब सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों पर तो कंट्रोल नहीं रख सकती मगर टैक्स मे छूट देकर जनता को थोड़ी राहत तो पहुंचा ही सकती है. क्योंकि चुनाव आने पर बढ़ती तेल की क़ीमत एक मुद्दा जरूर होता है, क़ीमत में कमी लाने के लिए तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. चुनाव के बाद सरकार इसे अपने नियंत्रण क्षेत्र से बाहर बता अपना पल्ला झाड लेती है. एक ओर अभी पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर आशंका जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफा हो सकता है.