उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रचार चरम पर है क्योंकि विधानसभा के 403 सदस्यों का चुनाव करने के लिए 2022 के शुरुआती महीनों में चुनाव होने वाले है. सीवोटर के एक सर्वेक्षण के अनुसार चुनावी राज्य में मतदाताओं की भावनाओं का अंदाजा लगाया गया है.
सीवोटर के नवंबर के पहले सप्ताह के सर्वेक्षण के अनुसार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा ने अभी भी मतदाताओं के बीच अपनी पहचान बनाई हुई है. वहीं अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी अपना दायरा फैला रही है और मायावती की बसपा नीचे फिसल रही है.
वोट शेयर प्रतिशत
2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 41.4% वोट हासिल किया था, जबकि शासन कर रही सपा केवल 23.6% वोट ही हासिल कर पाई थी. वहीं बसपा 22.2% वोट पर ही रुक गई थी.
नवंबर के नए आंकड़ों के अनुसार भाजपा इस बार भी मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफल हो सकती है, क्योंकि सर्वेक्षण में भाग लेने वालों के बीच यह 40.7% पर बनी हुई है. यह 2017 के बाद 0.7% की मामूली नकारात्मक स्विंग है.
सीवोटर सर्वेक्षण से यह प्रतीत हो रहा है कि बसपा के वोट प्रतिशत में गिरावट सपा के लिए लाभकारी है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में आक्रामक रुख के साथ, मतदाताओं के मन में प्रगति हो रही है क्योंकि 2017 के चुनावों की तुलना में 2.6% की बढ़ोत्तरी हुई हैं.
सीट प्रोजेक्शन रेंज
भाजपा ने 2017 में हुए पिछले यूपी विधानसभा चुनावों में काफ़ी शानदार जीत हासिल की थी. उसने 403 में से 325 विधानसभा सीट हासिल किए थे. जबकि सपा को 48 सीट ही मिली और बसपा और कांग्रेस ने क्रमश: 19 और 7 सीट हासिल किए.
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए मंज़र अभी भी सुनहरा है क्योंकि नवंबर के पहले महीने में किए गए सीवोटर सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि इस बार उनके लिए सीटों की सीमा 213 से 221 तक होने वाली हैं. अखिलेश यादव की सपा को काफी लाभ होगा क्योंकि आने वाली यूपी विधानसभा चुनावों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सीट की संख्या 152 और 160 के बीच है.