दिल्ली: केजरीवाल के यमुना के सफाई के वादे का निष्कर्ष आखिर कब तक?

सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और उसकी मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने पिछले डेढ़ महीने में दिल्ली यमुना की दयनीय स्थिति पर एक दूसरे पर आरोप मढ़े हैं. दोनों पक्षों के बीच नया विवाद दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के 30 सितंबर के आदेश से संबंधित है. जिसमें यमुना के किनारे अनुष्ठानों को प्रतिबंधित किया गया था.

हालांकि, हाल ही में टाइम्स नाउ समिट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना के साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ली है और उन्होंने कहा है कि अगले पांच सालों में वे यमुना का पूर्ण कायाकल्प कर के रहेंगे. लेकिन क्या दशकों की समस्या को राजनैतिक करार के बावजूद 5 वर्षों में हल किया जा सकता है?

एक नए अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली में यमुना नदी लगभग मृत हो गई है और उपचार के कोई संकेत नहीं हैं. क्योंकि उपचार के बाद भी पानी जहरीला और किसी भी उद्देश्य के लिए अनुपयुक्त रहता है. “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग साइंसेज एंड रिसर्च टेक्नोलॉजी” में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि “महंगी जल उपचार प्रौद्योगिकियां भी प्रदूषित नदी के पानी का उपचार करने में असमर्थ हैं”.

नदी पर सफेद झाग मृत नदी का संकेत है. शहर के सीवेज नेटवर्क से जुड़े क्षेत्र से अपर्याप्त उपचारित पानी या अनुपचारित सीवेज के बहाव से झाग निकलता है. इस अवधि के दौरान जब नदी का प्रवाह कम होता है तो वह कचरे को धोने में सक्षम नहीं होती है. झाग एक दशक से अधिक समय से दिखाई दे रहा है. लेकिन पिछले पांच वर्षों में यह ज़हरीली सफेद झाग नदी में तेजी से फ़ैल रही है.

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने ओखला बैराज के रखरखाव के लिए जिम्मेदार यूपी के सिंचाई विभाग को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने मेरठ और शामली जैसी जगहों पर चीनी और पेपर मिलों पर यमुना बैराज के हिंडन नहर में अनुपचारित जल छोड़ने का आरोप लगाया.

राजधानी में नदी के प्रवाह को रोकने के लिए हरियाणा सरकार की भी आलोचना की गई है. यह स्पष्ट है कि राजधानी के अधिकांश प्रदूषण संबंधी संकटों की तरह, यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों में उसके समकक्षों के बीच सहयोग की आवश्यकता है.

यमुना को पुनर्जीवित करना मुश्किल

2018 की एनजीटी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, बदरपुर से ओखला तक यमुना का 22 किमी का हिस्सा, जो नदी की कुल लंबाई का लगभग 2% है, वास्तव में नदी के प्रदूषण का 75% हिस्सा है. समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अब न्यूनतम प्रवाह बनाए नहीं रखा गया, तो नदी को पुनर्जीवित करना लगभग असंभव हो जाएगा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना की पूरी जिम्मेदारी ली है लेकिन फिर भी राजनैतिक पार्टियां इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी तालमेल नहीं बैठा पा रही है. इसके उलट सारे दल बस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में लगे हुए हैं.

यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए समय काफी कम और काम काफी ज्यादा है. ऐसे में राजनैतिक तकरार के बीच यमुना की बद्तर स्थिति का कायाकल्प होते फिलहाल तो नजर नहीं आ रहा. कहीं इस आरोप-प्रत्यारोप के चक्कर में यमुना की ऐसी स्थिति ना हो जाए जिसे कभी सुधारी ही ना जा सके.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *