डेल्टाक्राॅन: डेल्टा और ओमिक्राॅन के नई वैरिएंट से अब नई आफत, तेजी से बढ़ रहा संक्रमण

कोरोना का कहर अभी भी जारी है. कई देशों में वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना के मामले लगातार मिल रहे हैं. कोविड के कई वैरिएंट अब तक सामने आ चुके हैं. ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला कोरोना वैरिएंट बताया जा रहा है लेकिन ओमिक्रॉन की तुलना में डेल्टा वैरिएंट अधिक घातक है. ज्यादातर देशों में पिछले साल डेल्टा वैरिएंट का प्रभाव रहा अब ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के मिलने से नए वैरिएंट का खतरा दिखने लगा है.

ब्रिटेन में डेल्टाक्राॅन वैरिएंट का पहला मामला सामने आया है. इसके पहले साइप्रस में डेल्टाक्राॅन वैरिएंट का पता चला था. उस समय साइप्रस यूनिवर्सिटी में जैव प्रौद्योगिकी और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की प्रयोगशाला के प्रमुख डॉ. लियोन्डियोस कोस्ट्रिक्स ने डेल्टाक्रॉन को खोजा था. दावा किया गया था कि यह हाइब्रिड वैरिएंट बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन का स्थान ले सकता है हालांकि कई विशेषज्ञों ने तब इस वैरिएंट को लेकर प्रयोगशाला की गलती बताया गया था.

क्या है डेल्टाक्राॅन

डेल्टाक्राॅन को ओमिक्रॉन और डेल्टा का हाइब्रिड वैरिएंट बताया जा रहा है. कोरोना संक्रमित मरीज जब डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट प्रभावित होते हैं तो उसे डेल्टाक्राॅन वैरिएंट से संक्रमित माना जा सकता है. इस वैरिएंट के बारे में यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की साप्ताहिक वैरिएंट सर्विलांस रिपोर्ट में बताया गया कि नए वैरिएंट से जुड़े रोगों की गंभीरता और वैक्सीन का प्रभाव पता नहीं चल सका है लेकिन फिलहाल अधिकारियों ने इसे कम गंभीर श्रेणी के वैरिएंट में रखा है. वजह यह है कि अभी इसके बहुत कम मामले सामने आए हैं.

कहां से आया  है डेल्टाक्राॅन

ब्रिटेन में इस वैरिएंट के पता चलने के बाद यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की साप्ताहिक वैरिएंट सर्विलांस रिपोर्ट को डेली मेल ने प्रकाशित किया है हालांकि हाइब्रिड वैरिएंट की उत्पत्ति ब्रिटेन में हुई है या फिर यह बाहर से आया है इसका पता नहीं चल सका है. साइप्रस में भी डेल्टाक्राॅन वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं .

डेल्टाक्राॅन कम गंभीर श्रेणी का वैरिएंट

ऐसा माना जा रहा है कि यह वेरिएंट बहुत अधिक खतरा पैदा नहीं करता है. ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के विशेषज्ञ प्रोफेसर पॉल हंटर ने इस बात का तर्क दिया कि यूके में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट के खिलाफ इम्युनिटी का स्तर बहुत मजबूत और बेहतर हो गया है। दोनों वैरिएंट के मामले भी कम हो रहे हैं। ऐसे में सैद्धांतिक रूप से नए वैरिएंट का ट्रांसमिशन इतना आसान नहीं होगा.

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