दूसरी लहर के दौरान 39% भारतीयों ने अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए रिश्वत दी: सर्वे

लोकल सर्किल के एक नए सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में कोविड-19 का इलाज कराने वाले पांच में से दो भारतीयों को रिश्वत देनी पड़ी.


गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के अवसर पर जारी किए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ कि रिश्वत देने वालों में से 82 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने, बिस्तर लेने, वेंटिलेटर की व्यवस्था करने या दवाएं लेने के लिए रिश्वत देनी पड़ी.


सर्वेक्षकों को भारत के 317 जिलों में फैले नागरिकों से 16,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं. उत्तरदाताओं में 68 प्रतिशत पुरुष थे जबकि 32 प्रतिशत महिलाएं थीं. कुल प्रतिभागियों में से 42 प्रतिशत टियर 1 कस्बों से, 32 प्रतिशत टियर 2 कस्बों से और 26 प्रतिशत टियर 3 और 4 कस्बों और ग्रामीण स्थानों से थे.

39% को अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए रिश्वत देनी पड़ी.

सर्वेक्षण के अनुसार जिन उत्तरदाताओं ने अस्पताल में कोविड संक्रमण से संबंधित उपचार कराया, उनमें से 39 प्रतिशत ने रिश्वत देने की बात स्वीकार की. 32 प्रतिशत ने इसे ‘स्वयं या किसी के लिए प्रवेश / बिस्तर / वेंटिलेटर / दवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान किया’, 4 प्रतिशत ने किसी चीज़ के बारे में जानकारी प्राप्त करने या आईसीयू कक्ष में किसी से मिलने के लिए रिश्वत का भुगतान किया और 3 प्रतिशत ने ‘बिल मूल्य को कम करने या समय पर बीमा प्रसंस्करण’ के लिए भुगतान किया.


अध्ययन से यह भी पता चला है कि उस समय अस्पताल में इलाज के लिए रिश्वत देने वालों में से 7,249 प्रतिक्रियाओं में से 27 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन के कर्मचारियों को भुगतान किया और अन्य 27 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अस्पताल के अन्य कर्मचारियों को भुगतान किया और 28 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने वार्ड बॉय को इसका भुगतान किया.

9 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने इसे एक ‘सुविधाकर्ता’ को भुगतान किया, जैसे कि एक स्थानीय राजनेता या नेता, सरकारी कर्मचारी, बिचौलिए, जबकि अन्य 9 प्रतिशत ने ‘फार्मेसी या केमिस्ट’ को भुगतान किया.


सर्वेक्षण में दूसरी कोविड-19 लहर के दौरान कालाबाजारी पर मंच के पहले के निष्कर्षों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें पाया गया कि आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए 13% नागरिकों से अधिक शुल्क लिया गया था जबकि 19% लोगों ने कोविड से संबंधित दवाएं जैसे टोसीलिज़ुमैब, रेमडेसिविर, फैबीफ्लू आदि पर एमआरपी से अधिक शुल्क लिया गया। यहाँ तक कि मास्क और सेनेटाइजर पर भी एमआरपी से ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ा.

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