एनआइओएस के इस गड़बड़झाले को देखकर हर कोई है सन्न

राहुल कुमार ने एनआईओएस से 2018 में 12वीं उत्तीर्ण की थी। इसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज गुजरात में नामांकन लिया। अंक पत्र वेरिफिकेशन में पता चला कि राहुल कुमार ने एनआईओएस से 12वीं परीक्षा दी ही नहीं है। एनआईओएस द्वारा इसकी जानकारी इंजीनियरिंग कॉलेज को भेज दी गयी है।

दूसरा मामला आरती कुमारी का है। आरती ने एनआईओएस से 2014 में दसवीं और 2016 में 12वीं पास की। इसके बाद आरती कुमारी डीएलएड करके केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। लेकिन जब अंक पत्र का सत्यापन किया गया तो पता चला कि दसवीं और 12वीं दोनों का अंक पत्र फर्जी है।

जी हां नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआईओएस) से परीक्षा दी नहीं और दसवीं और 12वीं बोर्ड का प्रमाण पत्र और अंक पत्र मिल गया। इस प्रमाण पत्र पर अलग-अलग विभागों में लोग नौकरी भी कर रहे हैं। यह हैरतअंगेज खुलासा तब हुआ है जब इसकी तफ्तीश की गयी। पिछले डेढ़ साल में ही एनआईओएस ने 2452 फर्जी प्रमाण पत्र पकड़े हैं। एनआईओएस प्रशासन की मानें तो आए दिन प्रमाण पत्र सत्यापन में यह पकड़ में आता है। विभिन्न विभागों द्वारा भेजे गये अंकपत्र सत्यापन की जांच में फर्जी प्रमाण पत्र पकड़ में आये हैं। ज्ञात हो कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड पटना के अलावा अब एनआईओएस में भी आए दिन फर्जी प्रमाण पत्र और अंक पत्र पकड़े जा रहे हैं। बोर्ड प्रशासन की मानें तो कोरोना काल में बोर्ड द्वारा दसवीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा आयोजित नहीं की गयी, इसके बावजूद सैकड़ों छात्रों को अंक पत्र मिल गया। अब जब 2020, 2021 और 2022 के प्रमाण पत्रों की जांच हो रही है तो फर्जी प्रमाण पत्र पकड़ में आ रहे हैं।

एनआईओएस सूत्रों की मानें तो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के छात्र के पास बिहार एनआईओएस का अंक पत्र और प्रमाण पत्र मिल रहा है। छात्र रहने वाले हैं राजस्थान के और उनके पास दसवीं और 12वीं का प्रमाण पत्र एनआईओएस पटना के नाम का है। ऐसे सैकड़ों आवेदन वेरिफिकेशन के लिए बोर्ड को प्राप्त हुए हैं।

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