अपने विरोध के 380वें दिन, दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए किसान बड़ी धूमधाम से अपने घरों के लिए रवाना हुए. पिछले साल 26 नवंबर को तीनों कृषि बिल के विरोध में वे यहाँ पहुंचे थे. सिंघू बॉर्डर पर बने मंच को शनिवार सुबह तोड़ दिया गया जो पूरे आंदोलन के दौरान किसान नेताओं और वक्ताओं के लिए अपनी आवाज उठाने का मंच रहा.
कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे शनिवार सुबह से ही चहल-पहल से भरा हुआ था और यात्रा के लिए ट्रकों, ट्रॉलियों और कारों की कतार लगी हुई थी, जिनमें से अधिकांश को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया था. पिछले साल दिसंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली आए प्रदर्शनकारियों को लेकर पूरी तरह से सजी पीली बस मोहाली के लिए रवाना हुई.
कई प्रदर्शनकारियों ने जाने से पहले स्थलों की सफाई की. “यहाँ बहुत सारा कचरा था, विशेष रूप से डिस्पोजेबल, जिसे हटाना पड़ा. फतेहगढ़ साहिब के मलकीत सिंह ने कहा, हमने जगह को साफ कर दिया क्योंकि हम दोष नहीं चाहते थे कि हमने इसे गंदा छोड़ दिया.
ज्ञात रहे कि बीते दिनों किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा था कि 11 दिसंबर से किसान अपने घर लौटेंगे. किसानों की मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. तीनों कृषि कानून वापस ले लिया गया है और एमएसपी पर कानून बनाने के लिए सरकार ने कमिटी का गठन किया है. गौरतलब है कि इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों की मौत हो गई.