कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के एक साल पूरे होने के अवसर पर शुक्रवार को किसानों ने दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन किया. ऐसे में दिल्ली की उन तमाम सीमाओं पर जहां बीते 12 महीनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां पुलिस की तरफ से सख्ती बढ़ी है तो किसानों की भीड़ भी बढ़ गई है. मौके पर कई किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सब्जियां, आटे और दाल के बोरे, मसाले और खाना पकाने का तेल साथ लाए, यह कहते हुए कि वे एक लंबे संघर्ष मे हिस्सेदार है.
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के एक साल के विरोध के अवसर पर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि राकेश टिकैत ने कहा कि पिछले एक साल में किसानों ने कुछ नहीं खोया है बल्कि एकजुटता पाई है. आगे उन्होंने बताया, किसानों का आंदोलन फसलों के न्यूनतम बिक्री मूल्य की कानूनी गारंटी सहित उनकी मांगों का पूरा होने तक और केंद्र के साथ बातचीत करने तक जारी रहेगा. वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने भी कहा कि केंद्र द्वारा मांगों को पूरा किए जाने तक विरोध जारी रहेगा.
तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा के किसानों संघों ने इस कदम का स्वागत तो किया मगर कहा कि जब तक कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त नहीं किया जाता और अन्य मांगों को भी पूरा नहीं किया जाता तब तक वे आंदोलनरत रहेंगे. केंद्र सरकार द्वारा 2020 में कानून पारित किए जाने के बाद से ही किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
आपको बात दें बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बिल को मंजूरी दे दी गई है. अब संसद के दोनों सदनों से कानूनों की वापसी का विधेयक पारित होने के बाद उस पर राष्ट्रपति अंतिम मुहर लगाएंगे और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही उसे गजट में प्रकाशित किया जाएगा. जिसके बाद कृषि कानून निरस्त हो जाएगा. संभवतः कानून निरस्त हो जाने के बाद किसान भी अपने घर, अपने खेत लौट आएंगे.