सरकार के प्रस्ताव पर किसानों को आपत्ति. जल्द तय हो सकती हैं आंदोलन की अंतिम दिशा?

सरकार ने किसानों की मांगों पर प्रस्ताव भेजा है. किसानों ने इनमें से कुछ पर आपत्ति जताई है, कुछ पर सहमत भी हुए हैं.

पिछले एक सालों से कई किसान संगठनों द्वारा किए जा रहे आंदोलन अब फैसले की घड़ी के आसपास या चुका है. जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलनरत किसान आंदोलन ख़त्म करने या ना करने पर फ़ैसला करेंगे. दरअसल, सरकार ने किसानों की मांगों पर प्रस्ताव भेजा है. किसानों ने इनमें से कुछ पर आपत्ति जताई है, कुछ पर सहमत भी हुए हैं. आज किसान संयुक्त मोर्चा द्वारा बनाई गई कमेटी की सरकार के कुछ मंत्रियों के साथ बैठक है. इस दौरान सरकार किसानों की मांगों को सुनेगी.

आपको बात दें, किसान संगठन पिछले एक साल से ज्यादा समय से कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि कानूनों को तो सरकार ने वापस ले लिया है. लेकिन किसान अभी एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं. इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में किसानों पर दर्ज केस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

वहीं सरकार ने किसानों की मांग पर एक प्रस्ताव भेजा है. सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक:

  • एमएसपी पर पीएम मोदी और बाद में कृषि मंत्री ऐलान कर चुके हैं कि कमेटी बनाई जाएगी, इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी साथ ही किसान नेताओं को भी शामिल किया जाएगा. इसमें कृषि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे. इतना ही नहीं इस कमेटी में किसान संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
  • जहां तक आंदोलन की बात है, तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार आंदोलन के खत्म होते ही केस वापस लेने के लिए तैयार है.
  • जहां तक कि मुआवजे की बात है, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति दी है. पंजाब सरकार मुआवजे को लेकर पहले ही ऐलान कर चुकी है.
  • जहां तक की बिजली बिल की बात है, इसमें सभी पक्षों का विचार सुना जाएगा. इसके बाद संसद में बिल पेश किया जाएगा.
  • पराली जलाने पर सरकार ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा पारित अधिनियम में किसान को आपराधिक केस से छूट दी गई है.

इस प्रस्ताव पर किसानों ने तीन बिंदुआओं पर आपत्ति जताई है. किसानों के अनुसार:

  • जो लोग कृषि कानूनों की ड्राफ्टिंग में शामिल थे, उन्हें एमएसपी पर कमेटी में शामिल नहीं किया जाएगा. सिर्फ संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल संगठनों को इसमें जगह दी जाए.
  • पहले केस वापस ले सरकार, इसके बाद आंदोलन वापस लिया जाएगा.
  • किसानों का कहना है कि सरकार सैद्धांतिक रूप से मुआवजा देने के लिए तैयार है, लेकिन जिस तरह से पंजाब सरकार ने उन्हें मुआवजा दिया है, वैसे ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों का अभियान शुरू हो गया है, ऐसे में किसान आंदोलन और उनसे जुड़े मुद्दों का ज़िंदा रहना सरकार के लिए भी चुनौती है. अब देखना यह है कि आखिर सरकार और किसानों के बीच सामंजस्य कैसे बैठता है. सरकार और किसान किसकी बात मानते हैं और किन बिंदुओं पर इस आदोंलन की दिशा निर्धारित होती है.

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