देश में पहली बार प्रत्येक 1000 पुरुष पर महिलाओं की संख्या 1000 के पार हुई है. भारत की आबादी में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है. ये जानकारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आई है. नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे फैक्टशीट जारी की.
आपको बता दें इससे पहले 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में ये आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था. आजादी के बाद ये पहली बार है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है.
आंकड़ों में ये भी निकलकर सामने आया है कि सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है. गांवों में हर 1,000 पुरुषों पर ,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं.
सर्वे के मुताबिक, देश में प्रजनन दर में भी कमी आई है. प्रजनन दर आबादी की वृद्धि दर बताती है. सर्वे के मुताबिक, देश में जनन दर 2 पर आ गई है. जो साल 2015-16 में 2.2 थी. खास बात ये है कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है.
यानी अगर एक दंपति दो बच्चों को जन्म दे रहे हैं, तो वो दो बच्चे उन्हें रिप्लेस कर लेंगे. 2 से कम बच्चे पैदा करने का मतलब है कि आबादी कम होने की आशंका है. 2.1 की प्रजनन दर पर आबादी की वृद्धि स्थिर बनी रहती है.
साथ ही इस सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात अभी भी 929 है. यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है. प्रति हजार नवजातों के जन्म में लड़कियों की संख्या 929 ही है. हालांकि, सख्ती के बाद लिंग का पता करने की कोशिशों में कमी आई है और भ्रूण हत्या में कमी देखी जा रही है.