सोफी झांग नामक फेसबुक की पूर्व कर्मचारी अब एक व्हिसलब्लोअर है जो लगातार फेसबुक के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों में से एक है. हालिया दिनों में उन्होंने बताया कि कैसे फेसबुक भारतीय लोगों को नहीं बल्कि भारत के ताकतवर राजनीतिक लोगों को अहमियत देता है और इन ताकतवर लोगों के नाराजगी के डर से ग़लत पोस्ट पर कार्रवाई नहीं करता है.
एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र झूठ की नीव पर खड़ा नहीं हो सकता है. समस्या यह नहीं है कि हानिकारक बातें कही जा रही है, समस्या यह है कि हानिकारक बातें वितरित की जा रही है. यदि भारत के लोगों को किसी विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में सेंसर किया जाता है तो उन्हें फेसबुक के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.
फर्जी खातों को भाजपा नेता का संरक्षण
सोफी झांग ने अप्रैल में खुलासा किया था कि फेसबुक ने दिल्ली चुनाव से पहले कई फर्जी एकाउंट को डिलीट करने की योजना बनाई थी. फर्जी खातों के द्वारा किसी विशेष राजनीतिक दल या व्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए बड़ी संख्या में काम किया जाता रहा है. परंतु इन फर्जी खातों की चेन को एक भाजपा नेता द्वारा संरक्षण मिल रहा है, इस बात की जानकारी के बाद फेसबुक पीछे हट गया.
प्राइवेसी में दखल के लगते रहे है आरोप
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर हमेशा से भेदभाव और प्राइवेसी को लेकर आरोप लगते रहे हैं. 2020 दिल्ली चुनावों से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट से संबंधित तथ्यों को सबके सामने लाने के बाद से सोफी झांग सुर्खियों में आई थीं. सोफी झांग ने होंडुरास और अजरबैजान जैसे देशों में ऑनलाइन माध्यम से राजनीति में हो रहे हेराफेरी के बारे में भी सबूत उपलब्ध कराए थे.
होंडुरास के संबंध में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जुआन ऑरलैंडो हर्नांडेज़ ने अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए हजारों नकली खातों का इस्तेमाल किया और इसी तरह 2020 के दिल्ली चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आप ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी खातों का इस्तेमाल किया.
हालांकि, केवल भाजपा सांसद से सीधे जुड़े खातों के नेटवर्क को फेसबुक द्वारा नहीं हटाया गया था. सोफी ने कहा कि 2019 के आखिर में 4 फर्जी नेटवर्क मिले. तीन नेटवर्क को बंद कर दिया गया, जबकि आखिरी नेटवर्क को बंद करने से पहले फ़ेसबुक को यह पता लगा कि यह नेटवर्क सीधे और निजी तौर पर बीजेपी नेता की ओर से चलाया जा रहा था. उन्होंने बताया कि फेसबुक राजनितिक दलों की नाराजगी के डर से पोस्ट पर कोई कार्रवाई नहीं करता है.
लाइक्स और शेयर पर होता है पूरा ध्यान
एक डाटा साइंटिस्ट के रूप में काम कर चुकी झांग ने बताया कि उन्होंने बहुत करीब से देखा है कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक ख़ास राजनीतिक शक्ति के हाथों भारत सहित विश्व भर की राजनीति को प्रभावित करने का काम करती है. फेसबुक की भावनाओं को उजागर करने के क्रम में उनसे राजनीतिक काम से दूर रहने और केवल लाइक्स तथा शेयरों को ट्रैक करने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया था.
जब उन्होंने इसपर अपनी सहमति नहीं जताई तो फेसबुक ने उन्हें निकाल दिया. आगे झांग ने 2020 में “फेसबुक्स फेलियर” के नाम से 6,600 शब्दों का एक मेमो प्रकाशित किया. हालांकि फेसबुक ने इन दावों को खारिज कर दिया है, लेकिन इस बात को लेकर सहमति जताई है कि इंटरनेट रेगुलेशन को अपडेट करने की जरूरत है.
सोशल मीडिया राजनीतिक पार्टियों का कब्जा
सोशल मीडिया में राजनीतिक हस्तक्षेप के जवाब में झांग ने कहा कि राजनीतिक शक्ति उन कंपनियों के लिए अधिक दबाव वाला होगा जो फेसबुक से छोटी और कम महत्वपूर्ण हैं. छोटी सरकारें भी सत्ता हासिल करेंगी और व्यक्तिगत कंपनियों पर दबाव डालेंगी.
इस संबंध में बड़ा सवाल ये है कि क्या कंपनी ‘डुप्लीकेट’ एकाउंट्स को बंद करने की कोई असल कोशिश कर रहा है या फिर उन्हें इस बात का डर है कि इन एकाउंट्स को बंद करने से उनके प्लेटफॉर्म का ‘एंगेजमेंट’ कम हो जाएगा. ऐसे में समस्या सिर्फ फर्जी खातों से कहीं ज्यादा बड़ी है. यह लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव के लिए बहुत बड़ा खतरा है.
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