जहाँ एक तरफ भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख पर सीमा विवाद ज़ारी वहीं अब नेपाल की ओर से भी विवाद के संकेत मिल रहे हैं. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूनिफाइड मार्कसिस्ट लेनिनिस्ट के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने नेपाल की राजधानी काठमांडू से 160 किलोमीटर दक्षिण में चितवन में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के 10वें आम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वादा कर बैठे कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में लौटती है तो वह भारत से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के क्षेत्रों को वार्ता के जरिए वापस ले लेंगे.
आपको बता दें पूर्व में केपी ओली ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ सीमा विवाद के बीच लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाने वाले एक नए राजनीतिक मानचित्र का समर्थन किया था. नेपाल द्वारा नक्शा जारी करने के बाद, भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकतरफा कार्रवाई’ बताया और काठमांडू को आगाह किया कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा ‘कृत्रिम विस्तार’ उसे स्वीकार्य नहीं होगा.
भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र के अभिन्न अंग के रूप में दावा करते हैं. भारत जहां उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले जिले के कालापानी पर दावा करता है तो नेपाल धारचूला जिले के हिस्से पर दावा करता है. भारत द्वारा उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क मई 2020 को खोले जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गये थे. नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है.
ओली की तरफ से भारत नेपाल सिमा को लेकर हमेसा से विवादित बयान आते रहे हैं, जिसमे वे कुछ क्षेत्रों को भारत से वापस लाने के लिए कूटनीतिक प्रयास करने के खोखले दावे करते आये हैं. उन्होंने कहा, हम बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान के पक्ष में हैं, न कि पड़ोसियों से दुश्मनी कर के.