सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने ‘सूचना का अधिकार’ कानून के बहाने पीएम केयर फंड पर सवाल उठाया है.

सूचना के अधिकार अधिनियम के 16 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नेशनल कैंपेन फॉर पीपल्स राइट टू इन्फॉर्मेंशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि सामान्य नागरिकों और बड़े व्यवसायियों द्वारा पीएम केयर फंड में जमा पैसा कहा है, किसी को नहीं पता.

उन्होंने आगे कहा कि पीएम केयर फंड की वेबसाइट पर 28 फरवरी 2020 से 31 मार्च 2020 तक की ऑडिट रिपोर्ट मिल जायेगी. जिससे पता चलता है कि मात्र चार दिन में ही 3000 करोड़ रुपये जमा हुए. इस तरह हम औसत दिन गिनकर अनुमान लगाए तो ऐसा लगता है कि हजारों करोड़ रुपये जमा हुए. लेकिन उसका हिसाब सामने नहीं है.

जस्टिस लोकुर ने कहा कि हमें सरकार से जानकारी नहीं मांगनी नहीं चाहिए बल्कि आरटीआई की धारा चार के तहत सरकार को इस बारे में खुद जानकारी देनी चाहिए.

जस्टिस लोकुर ने 2021 नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार मारिया रेसा का उदाहरण देते हुए कहा कि तथ्यों के बिना सत्य नहीं होता. सच के बिना भरोसा नहीं हो सकता. और इन दोनों के बिना लोकतंत्र नहीं हो सकता.

सूचना का अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना में जवाब आया कि पीएम केयर फंड सूचना के अधिकार के तहत नहीं आता है.

प्रधानमंत्री ने 28 मार्च 2020 को कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए इस फंड का गठन किया गया है.

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