एक बार को सोचिये कि आप अपने कंप्यूटर पर काम कर रहे है तभी अचानक से एक नया ब्राउज़र टैब खुल जाता है और सायरन की आवाज आने लगती है. जो ब्राउज़र टैब खुला है वो हूबहू सरकारी वेबसाइट की ही तरह दिख रही है.
टैब में इंडियन गवर्नमेंट का लोगो लगा है जो डिट्टो सरकारी वेबसाइट की तरह दिख रही है. उस पर एक नोटिस लिखा हुआ है कि ‘आपके कंप्यूटर को ब्लॉक कर दिया गया है’. ये सब देख कर डर जाना स्वभाविक है.

ऑनलाइन ठगी का मामला नया नहीं है. लोगों में जागरूकता बढ़ती है तो ठग भी तकनीक की एक सीढ़ी ऊपर चढ़ जाते हैं. एटीएम कार्ड क्लोनिंग, ओटीपी से पैसे की ठगी या लॉटरी का लालच देकर ठगने का काम पहले से होता आया है.
उसी टैब में लाल अक्षरों में लिखा है कि आपके ब्राउज़र को ब्लॉक कर दिया गया है क्योंकि आपने बार-बार ऐसे वेबसाइट पर विजिट किया है जो पोर्न, हिंसा और समलैंगिकता को प्रोमोट करता है.

थोड़ा और आगे बढ़ने पर आपको अपने बैंक संबंधित कार्ड की जानकारी डालने के विकल्प दिखते हैं और ठीक उसके बगल में कुछ डरावनी बातें. इसमें अगले 12 घण्टे के अंदर 29000 भारतीय रुपये जुर्माना के तौर पर जमा करने को कहा गया है.
जुर्माना जमा नहीं करने की स्थिति में कंप्यूटर से सभी तरह के डेटा को डिलीट करने की बात लिखी हुई है और साथ में ये भी लिखा है कि आपके घर पुलिस पहुंच जाएगी और आपकी गिरफ्तारी होगी.
ये सब इतनी जल्दी और ऐसे होता है कि सामने वाला कुछ सोच-समझ ही नहीं पाता और वो सायरन की आवाज तो बिल्कुल ही डरा देती है. लेकिन ये एक ऑनलाइन ठगी का माध्यम है जो इतनी काबिलियत से की जा रही है कि इसको पकड़ पाना मुश्किल है.
कैसे होता है ये?
इस ठगी के शिकार होने से बचे एक युवक ने हमें बताया कि जब वो अपने कंप्यूटर पर ऑनलाइन काम निपटा रहे थे तभी अचानक से उनके कंप्यूटर से सायरन की आवाज आने लगी और वो डर गए. उसके बाद जब उन्होंने अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देखा तो ये जुर्माने वाली बात दिखी.
घबराने के बाद भी युवक ने जुर्माना देने के बारे में नहीं सोचा क्योंकि वो जानता था कि उन्होंने पोर्न देखा ही नही है.
दरअसल युवक इंटरनेट से कुछ छोटे वीडियो क्लिप डाउनलोड करने का प्रयास कर रहे थे. इसके लिए वो जिस वेबसाइट पर थे वहां पॉप अप वाले विज्ञापन आते थे. जैसे ही उन्होंने डाउनलोड बटन दबाया तो ये पूरा नया ब्राउज़र टैब एक पॉप अप विज्ञापन के तौर पर खुला.
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि ठगों ने वेबसाइट के यूआरएल के साथ भी इस तरह से छेड़छाड़ किया है कि कम तकनीकी ज्ञान वाले इंसान के लिए इस ठगी को पकड़ पाना मुश्किल है.

इस टैब में इंडियन गवर्नमेंट के लोगो के ठीक ऊपर जो यूआरएल है वो डिट्टो सरकारी वेबसाइट की है जो बिल्कुल वास्तविक दिख रही है. लेकिन ओरिजनल यूआरएल सबसे ऊपर है जो अंग्रेजी के r अक्षर से शुरू हो रही है.
कैसा पता चला कि ठगी है?
जब हमने इस नोटिस के लाल अक्षर वाली पंक्ति को हूबहू गूगल पर सर्च किया तो इस तरह के फ्रॉड की कई खबरें दिखीं. इन सबमें इसी तरीके से अलग-अलग राशि को ठगने की बात कही गयी थी.

कई प्रतिष्ठित मीडिया वेबसाइट्स पर इस खबर की सच्चाई मिली. पीआईबी का एक फैक्ट चेक ट्वीट भी मिला. इस मामले में कई अपराधियों के गिरफ्तारी की भी खबर मिली.
कैसे बच सकते हैं ऐसे ठगों से?
इन वेबसाइट्स पर किसी भी तरह की व्यक्तिगत जानकारी शेयर करने से बचें और इस तरह के मैसेज को इग्नोर करें.