बीते 10 नवंबर को गोरखपुर के चौरी चौरा में हिंदुवादी संगठनों की तहरीर पर 4 मुसलमानों पर एक विवादित झंडे को लेकर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. गोरखपुर पुलिस ने अपनी जांच में आरोपों को गलत पाया है और अब देशद्रोह का मुकदमा वापस होगा.
बीबीसी हिंदी पर छपी खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा में हिंदुवादी संगठनों से जुड़े लोग मुस्लिम परिवारों के घर गए थे. मुस्लिम परिवार के घर पर लगे झंडे को उन्होंने पाकिस्तानी झंडा बताया था. जिसके बाद पुलिस ने देशद्रोह के आरोप में चार मुसलमानों को नामजद किया था.
गोरखपुर पुलिस ने अब अपनी जांच में पाया है कि उनके घर पर लगा झंडा पाकिस्तानी नहीं बल्कि इस्लामिक था. यानी उनके घर पर लगा झंडा उनके धर्म से जुड़ा था. अब पुलिस उन 4 मुसलमानों पर लगे देशद्रोह के मुकदमे को वापस लेगी. लेकिन बीबीसी हिंदी ने उन परिवारों के हवाले से लिखा है कि उन पर देशद्रोह के आरोप के बाद उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. आस-पास के लोग उन्हें देशद्रोही समझ रहे हैं और उनसे बात भी नहीं कर रहे.
इस मामले में अब्दुल कलाम कुरैशी और उनके दो बेटों को भी नामजद किया गया था. पुलिस ने इन तीनों को तो हिरासत में नहीं लिया लेकिन इसी मामले के चौथे नामजद तालिम को पुलिस ने हिरासत में लिया था जो अभी भी जेल में है. गोरखपुर पुलिस ने उन्हें जल्दी ही रिहा करने की बात कही है.
सोशल मीडिया से उठी थी बात
10 नवंबर को अचानक से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चौरी चौरा के मुडेरा बाजार के एक घर की तस्वीर वायरल होने लगी. जिसमें दावा किया गया कि उस घर पर लगा झंडा पाकिस्तान का है.
इसके बाद ही हिंदुवादी संगठनों से जुड़े लोग सक्रिय होने लगे और मुडेरा बाजार में उन घरों की तरफ बढ़ें. मामला की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए गोरखपुर के एसपी नॉर्थ मनोज अवस्थी खुद ही थाने पहुंचे और एक हिंदुवादी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तहरीर पर 4 मुसलमान लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया.
इस बीच लोगों की भीड़ में बहस और झड़प की भी खबरें आती रहीं. मारपीट और तोड़-फोड़ की भी खबरे आईं थी. मनोज अवस्थी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि चारों नामजद को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी और जेल भेज जायेगा.
पुलिस जांच में आरोप गलत निकला
बीबीसी हिंदी ने गोरखपुर नॉर्थ के एसपी के हवाले से लिखा है कि
“पुष्टि हुई है कि वो पाकिस्तानी झंडा नहीं बल्कि इस्लामिक झंडा था. देशद्रोह का मामला वापस ले लिया जायेगा और खत्म कर दिया जायेगा. चार झंडे थे और जांच में कोई भी पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा नहीं पाया गया है.”
बीबीसी हिंदी ने जब उनसे सवाल किया कि मारपीट और तोड़-फोड़ करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या नहीं? इसके जवाब में अवस्थी ने कहा कि इस संबंध में उन्हें कोई तहरीर नहीं मिली है. अगर तहरीरी मिलेगी तो कार्रवाई होगी.
पुलिस ने तो मुकदमा वापस लेने की बात कह दी है लेकिन मामले में नामजद परिवार दहशत में है. अब्दुल कलाम कुरैशी ने बताया कि “उनके घरों पर हमले किये गए और गाड़ी भी तोड़ दी गई. उन्होंने बताया कि घटना के बाद उन्हें थाने ले जाया गया था जिसके बाद गोरखपुर से एसएचओ साहब आए और जब उन्होंने देखा कि ये पाकिस्तानी नहीं इस्लामिक झंडा है तब उन्हें छोड़ा गया.”