हरिद्वार में हुए धर्म संसद कार्यक्रम में दिए गए हिंसक और भड़काऊ भाषण देने के संबंध में उत्तराखंड पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. द हिंदु ने स्टेट डिजीपी अशोक कुमार के हवाले से लिखा है कि इस मामले में UAPA की धाराएं नहीं लगाई गईं हैं क्योंकि इसमें कोई हिंसा या हत्या नहीं हुई है.
अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी भी नहीं हुई है. लोगों में इस बात की चर्चा है कि उन कलाकारों और पत्रकारों ने कौन-सी हत्या या हिंसा की थी जिन्हें सालों तक UAPA की धाराओं में जेल में बंद रहना पड़ा.
हरिद्वार में क्या हुआ?
बीते 17 दिसम्बर से 19 दिसम्बर तक उत्तराखंड के हरिद्वार में ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसमें मुस्लिम समुदाय के प्रति हिंसक और भड़काऊ भाषण दिए गए. कार्यक्रम में दिए गए भाषण में 2029 तक किसी मुसलमान को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने का आह्वान करते नजर आए. साथ ही उन्होंने मुस्लिम आबादी नहीं बढ़ने देने और बढ़ने पर हिंदू समाज द्वारा शस्त्र उठा लेने जैसी बातें कहीं. इनमें महिला संत भी शामिल थीं.
हिंसक भाषण से जुड़े विडिओ के वायरल होने के काफी समय बाद तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. गुरुवार को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई लेकिन अभी तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. जबकि कानून के जानकारों का कहना है कि भाषण इतना हिंसक और भड़काऊ है कि इसमें कई और धाराओं को जोड़ा जा सकता है.
फिलहाल मामले को धारा 153(ए) के तहत दर्ज किया गया है जिसमें अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान है और जो गैर जमानती है. पुलिस ने विवादित विडिओ को सोशल मीडिया से ब्लॉक करने की भी बात कही है.
उत्तराखंड पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है और विधिक कार्यवाही प्रचलित है.”