एक आम नागरिक को किसी तरह की परेशानी होती है तो पहले पुलिस का दरवाजा खाटखटाया जाता है उसके बाद हम कोर्ट तक पहुंचते हैं. और कोर्ट में हमारे समस्या का समाधान वकीलों द्वारा किया जाता है. पर सोचिए क्या होगा जब वकील समस्या में होंगे और उनकी समस्या का समाधान ही ना मिल रहा हो? जब वकील खुद अपनी समस्या को लेकर दफ्तर-दफ्तर चक्कर लगा रहे हों ऐसे में आपके समस्या का समाधान कौन करेगा? ऐसा ही एक मामला है पटना हाईकोर्ट का जहाँ वकीलों को अपने अनुभव प्रमाणपत्र के लिए जूते घिसने पड़ रहे हैं.
बात हो रही है पटना हाईकोर्ट के वकीलों को अनुभव प्रमाणपत्र लेने के लिए दफ्तर-दफ्तर चक्कर लगाने की. पटना हाईकोर्ट में विधि पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए आवेदन देने वाले वकीलों को वकालत का अनुभव प्राणपत्र प्राप्त करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अनुभव प्रमाणपत्र किस रजिस्टार के किस दफ्तर से मिलेगा इस संबंध में ना तो कोई स्पष्ट जानकारी दी गई है और ना ही कोई निश्चित फॉर्म. वकीलों द्वारा इस मामलें में शिकायत भी की गई है. मगर इसका कोई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है.
वकीलों को अपने अनुभव प्रमाणपत्र के लिए कभी रजिस्टार जनरल तो कभी रजिस्टार ऐड्मिनिस्ट्रैशन के दफ्तरों के चक्कर लगाने के बावजूद कहीं से कोई संतुष्ट जानकारी नहीं मिल रही है. अब हाईकोर्ट के वकील संघों की समन्वय समिति जल्द ही इस समस्या को लेकर मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करेगी.