सब कुछ समय पर होता है. फरवरी में उत्तर प्रदेश में चुनाव होना है. दिसंबर में देश के एक हिस्से उडुपी से हिजाब विवाद शुरू होता है. विवाद चुनाव आते-आते झड़पें और पथराव तक पहुँच गई है. विवाद उस समय शुरू हुआ जब 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया. इन दिनों यह विवाद विरोध और प्रदर्शनों के बाद पथराव तक पहुँच गया है.

इस दौरान 2 फरवरी को उडुपी के ही कुंडापुर में स्थित सरकारी कॉलेज में हिजाब विवाद आगे बढ़ा. हिंदू छात्र और छात्राएं हिजाब के जवाब में भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आए. यहाँ से लड़ाई हिंदू-मुसलमान और हिन्दुत्व तक पहुँच गई. इधर उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आती जा रही थी. 5 फरवरी को राहुल गांधी के ट्वीट के साथ राष्ट्रीय विपक्ष ने मामले पर हस्तक्षेप किया.
इसके बाद 8 फरवरी 2022 को कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं. शिमोगा से एक वीडियो आया जिसमें कॉलेज का एक छात्र तिरंगे के पोल पर भगवा झंडा लगाते दिखता है. कई जगहों से पथराव की खबरें भी आईं. मांड्या में बुर्का पहन कर आई एक छात्रा के साथ बदसलूकी की गई. उसके सामने भगवा गमछा पहने छात्रों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए गए. इस तरह इस मामले को भगवा-बुर्का बनाने की कोशिश की गई. आज 10 फरवरी है. उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. इधर मामला राजनीति से होते हुए बॉलीवुड तक पहुँच गया है. प्रियंका गांधी के ट्वीट पर शर्लिन चोपड़ा का ट्वीट हुआ है. यहाँ आपको बात दें कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार है.
उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि, “महिलाओं को अपने हिसाब से कपड़े पहनने का हक है, जो कि उनको संविधान से मिला है. फिर चाहे वह बिकिनी हो, घूंघट हो, जीन्स हो या फिर हिजाब. यह महिला का अधिकार है, वह जो पहनना चाहे पहन सकती है. महिलाओं को परेशान करना बंद करो”
इसपर बॉलीवुड अभिनेत्री शर्लिन चोपड़ा का ट्वीट आया कि “मिसेस वाड्रा. भारतीय संविधान की आपकी समझ के अनुसार, क्या लड़कियों को एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में बिकिनी पहनने की अनुमति है? अगर हां, तो किस तरह की? माइक्रो-बिकिनी या सी-थ्रू (हल्के कपड़े की बनी) बिकिनी? मेरे पास ढेर सारी हैं और मुझे खुशी होगी इन्हें डोनेट करने में, अगर वह चाहती होंगी तो.“
उधर राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि “हिजाब को शिक्षा के रास्ते में लाकर भारत की बेटियों का भविष्य छीना जा रहा है.”
मतलब यह है कि दिसंबर में कर्नाटक से शुरू हुए एक विवाद ने उत्तर प्रदेश चुनाव आते-आते राष्ट्रीय रूप ले लिया. सवाल यह है कि क्या सत्ता पक्ष और विपक्ष इस मामले का चुनाव में इस्तेमाल करेगी? क्या छात्रों के प्रदर्शन और उनके पक्ष-विपक्ष के उपजे इस हालात के पीछे को राजनीतिक वजह है भी? या यह मामला सिर्फ उडुपी और कर्नाटक का है? या यही हालात देश के सभी जगहों की है. क्या हिंदू-मुसलामान ही आज की राजनीति का सत्य है? अगर यह है तो ऐसा क्यों है? क्यों आज भी भारत की राजनीति बुर्के और भगवा पहनने तक सिमटती, सिकुड़ती है. क्यों हर चुनाव से पहले इस तरह की खबरें आती हैं. और फिर चली जाती है.