धर्म संसद में हुए ‘अधर्म’ पर हरिद्वार में दूसरा एफआईआर

देश के दो बड़े शहरों में हाल ही में आयोजित ‘धर्म संसद’ अपने ‘अधार्मिक’ कारणों से चर्चा का विषय बना रहा. पहले हरिद्वार उसके बाद रायपुर में आयोजित इस धर्म संसद में कथित साधु-संतों ने भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषण दिए. जिसके बाद आमजनता से लेकर विपक्षी दलों ने इसका विरोध जताया और सम्मेलन में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. ‘धर्म संसद’ में एक समुदाय के ख़िलाफ़ खुलकर बयान दिया गया था और हिंसा के लिए उकसावे वाली बातें भी कही गई थीं. इस घटना के अब तीन हफ्ते हो चुके हैं लेकिन विरोध अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा. आइए जानते हैं धर्म संसद की घटनाओं में अबतक क्या कार्रवाई हुई है.

हरिद्वार धर्म संसद

हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन में मुस्लिमों के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे. कई लोगों ने अल्पसंख्यकों पर आपत्तिजनक भाषण दिए. नरसंहार के नारे लगाए. इन विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. कार्यक्रम में दिए गए भाषण में 2029 तक किसी मुसलमान को प्रधानमंत्री नहीं बनने देने का आह्वान करते नजर आए. साथ ही उन्होंने मुस्लिम आबादी नहीं बढ़ने देने और बढ़ने पर हिंदू समाज द्वारा शस्त्र उठा लेने जैसी बातें कहीं. इनमें महिला संत भी शामिल थीं.

जब मामले ने तूल पकड़ा तो आपत्तिजनक भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. भड़काऊ भाषण देने के आरोप में ज्वालापुर के रहने वाले गुलबहार कुरैशी की ओर से पुलिस ने जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि बाद में वायरल वीडियो को सबूत मानते हुए पुलिस ने वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर साध्वी अन्नपूर्णा और महंत धर्मदास को भी इस मामले में नामजद किया था

हाल में दूसरी एफआईआर भी दर्ज की गई है. दूसरी एफ़आईआर में धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी पूर्व नाम वसीम रिज़वी, सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामज़द किया गया है. यह एफआईआर बीती तीन जनवरी को हरिद्वार क्षेत्र के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता नदीम अली की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है.

आपको बात दें, मामले की जांच के लिए रविवार को एसआईटी गठित की गई थी. तीन दिनों बाद भी अफसरों को आदेश की कॉपी नहीं मिली है. क्योंकि अब तक केस एसआईटी को ट्रांसफर ही नहीं हो सका है. जांच के नाम पर केवल शून्य सामने आया है. ना तो एक भी गिरफ़्तारी हुई है और ना ही किसी से पूछताछ. ऐसे में जांच कब शुरू होगी और कब पूरी होगी, इसको लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.

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रायपुर धर्म संसद

हरिद्वार के घटना से लोग अभी उबरे भी नहीं थे कि रायपुर में फिर एक धर्म संसद हो गई. 25-26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्म संसद भी चर्चा का विषय बना रहा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहा गया और उनक हत्यारे गोडसे को नमन करने की बात कही गई.

आयोजन को संबोधित करते हुए संत कालीचरण ने महात्मा गांधी और अल्पसख्यकों को लेकर अपशब्द कहे थे. शिकायत के बाद टिकरापारा थाना पुलिस ने कालीचरण महाराज के खिलाफ धारा 505(2), 294 IPC के तहत अपराध दर्ज किया था, जिसपर कार्रवाई करते हुए कालीचरण महाराज को मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया गया था.

एफआईआर लिखे जाने के बाद संत कालीचरण ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें उसने अपना बयान वापस लेने से इंकार किया था. उसने कहा था, “ऐसी एफआईआर से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं गांधी का विरोधी हूं और गांधी से नफरत करता हूं. इसके लिए अगर फांसी की सजा भी सुनाई जाएगी तो स्वीकार है.” अब संत कालीचरण के भविष्य का फैसला अदालत करेगी.

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