पिछले कुछ सालों से जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है. विश्व स्तर पर लोग सामने आ रहे हैं और इसके बारे में जानकारी और इस समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है, इस बारे में चर्चा कर रहे हैं.
विश्व स्तर पर इस समस्या को हल करने की योजनाएं बन रही है. जिसमें विश्व के प्रभावशाली और प्रसिद्ध नेता इस समस्या के हल के लिए वैश्विक स्तर पर चर्चा कर रहे हैं. इसी चर्चा में से एक सीओपी सम्मेलन है जिसमें विश्व के बड़े नेता मिलते हैं तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या के बारे मे बातें करते हैं.
इस वर्ष पार्टियों का 26वां सम्मेलन है और यह ‘ग्लासगो’ में स्काॅटिश इवेंट कैंपस में आयोजित किया जाएगा. यूके 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक “सीओपी” 26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस आयोजन में 190 से अधिक देशों के नेता, हजारों वार्ताकार, शोधकर्ता और नागरिक जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए एक साथ शामिल होंगे. यह दुनिया के लिए एक साथ आने और जलवायु कार्य योजना में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण आंदोलन है.
सीओपी (COP26) सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत आता है, जिसे 1994 में बनाया गया था. यूएनएफसीसीसी की स्थापना “वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करने” की दिशा में काम करने के लिए की गई थी. यूएनएफसीसीसी में भारत, चीन और अमेरिका सहित 198 दल शामिल हैं.
वहीं ग्लासगो में महत्वपूर्ण COP26 जलवायु सम्मेलन के खुलने में केवल दो सप्ताह शेष है, तो वार्ताकारों के सामने कठिनाइयां हैं क्योंकि सभा के प्रमुख लक्ष्यों में से एक महत्वपूर्ण लक्ष्य 1.5C तापमान सीमा को जीवित और पहुंच के भीतर रखने के लिए कदम उठाना है जो कि बहुत मुश्किल कार्य है. एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे अमीर देशों में कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें चीन, भारत और अर्जेंटीना अपने 2019 उत्सर्जन स्तर को पार करने के लिए तैयार हैं.
क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट का यह कहना है कि इस साल G20 समूह में CO2 4% बढ़ जाएगी, जो महामारी के कारण 2020 में 6% गिर गई थी. वहीं जीवाश्म ईंधन का निरंतर उपयोग तापमान पर लगाम लगाने के प्रयासों को कमजोर कर रहा है. G20 समूह वैश्विक उत्सर्जन में लगभग 75% के लिए जिम्मेदार है, जो पिछले साल काफ़ी गिर गया था क्योंकि कोविद -19 के कारण अर्थव्यवस्थाओं को बंद कर दिया गया था, अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि 16 अनुसंधान संगठनों और पर्यावरण अभियान समूहों द्वारा संकलित रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष G20 में कोयले के उपयोग में 5% की वृद्धि होने की संभावना है और इसमें मुख्य रूप चीन का है जो लगभग 60% वृद्धि के लिए जिम्मेदार है, लेकिन कोयले में वृद्धि अमेरिका और भारत में भी हो रही है.
कोयले की कीमतें एक साल पहले की तुलना में करीब 200 फीसदी बढ़ी हैं. चीन में कोयले का उपयोग बढ़ गया है , चीनी सरकार ने इस सप्ताह अपने नीति में बदलाव की घोषणा के साथ बिजली संयंत्रों को अपनी ऊर्जा के लिए बाजार दर वसूलने की अनुमति दी और इसी कारण यह माना जा रहा है कि इससे और अधिक कोयले का उपयोग होगा, लेकिन पिछले कुछ महीनों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के लिए बिजली पैदा करना अलाभकारी साबित हो रही है. क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में पाया गया है कि 2015-2020 की अवधि में G20 में गैस के उपयोग में 12% की वृद्धि हुई है.
ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार कुछ सकारात्मक विकास भी हुए हैं जिसमें अमीर देशों में सौर और पवन ऊर्जा में वृद्धि हुई है. इसमें पिछले साल जी20 में रिकॉर्ड मात्रा में नई क्षमता स्थापित की गई थी एवं अक्षय ऊर्जा अब 2020 में 10% की तुलना में लगभग 12% बिजली की आपूर्ति करती है. जी20 समूह के सभी सदस्यों ने ग्लासगो सम्मेलन से पहले नई 2030 कार्बन योजनाओं पर काम करने की सहमति जाहिर की है.
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और उनके अमेरिकी समकक्ष, ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने गुरुवार, 14 अक्टूबर, 2021 को अमेरिका-भारत आर्थिक और वित्तीय साझेदारी की आठ मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए मुलाकात की, जिसमें फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (उपस्थित :आभासी) भी उपस्थित थें, संयुक्त बयान के अनुसार पहली बार मंत्रिस्तरीय बैठक में जलवायु वित्त को समर्पित सत्र आयोजित किया गया है.
ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज “प्रिंस विलियम” ने अक्टूबर में होने वाले सीओपी के 26वें सम्मेलन को ध्यान में रखते हुए कहा कि वर्तमान में अंतरिक्ष पर्यटन को बढावा देने के बजाय हमें दुनिया के कुछ महान और बुद्धिजीवी व्यक्तियों की जरूरत है जो कि इस ग्रह को बचाने के लिए काम करे, विलियम ने ग्रह को बचाने की कोशिश करने वालों को पुरस्कृत करने के लिए पहले अर्थशॉट पुरस्कार जिसमें पांच विजेताओं को इस महीने के अंत में एक समारोह में £1m के ईनाम के रूप मे दी जाएगी, इसी पुरस्कार के संदर्भ में उन्होंने ने विजेताओं के नाम घोषित करने से पहले हुई बातचीत में कहा – “युवाओं में जलवायु की चिंता में वृद्धि हुई है, जिनका भविष्य मूल रूप से पूरे समय के लिए खतरा है.”
यह बहुत परेशान करने वाली बात है, और देखना यह है कि इस वर्ष कि सीओपी के 26वें सम्मेलन में कौन सी नई नीति बनाई जाती हैं और ये शक्तिशाली देश किस प्रकार से “जलवायु परिवर्तन” को रोकने का हल निकालते हैं.