बिहार में जीविका दीदियों पर जनसंख्या नियंत्रण का जिम्मा, 5 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी; स्वास्थ्य विभाग से समझौता जल्द

पटना| बिहार में जीविका दीदियों पर जनसंख्या नियंत्रण की जिम्मेदारी दी गई है। जीविका दीदी अब महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए प्रेरित करेंगी।

प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत पांच जिले से होगी। अगले वित्तीय वर्ष में इसका विस्तार बाकी 33 जिले में होगा। जीविका व स्वास्थ्य विभाग के बीच जल्द ही इस बाबत समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होगा।

बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए राज्य में परिवार नियोजन के लिए महिलाओं को अभी एएनएम और आशा प्रेरित कर रही हैं। चूंकि जीविका दीदी की पहुंच पूरे राज्य में है, समाज के कई क्षेत्रों में जीविका दीदी काम कर रही हैं, इस कारण स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि इनकी सेवा परिवार नियोजन के लिए भी ली जाए।

इन 5 जिलों में का फिलहाल चयन

प्रयोग के तौर पर औरंगाबाद, जहानाबाद, शेखपुरा, लखीसराय व शिवहर के दो-दो प्रखंडों में अभी जीविका दीदी से सेवा ली जा रही है। इसका परिणाम सकारात्मक आया है। इसलिए अब तय किया गया है कि इन पांचों जिले के सभी प्रखंडों में जीविका दीदी की सहायता ली जाए।

इन पांचों जिलों में सफलता मिलने पर राज्य के बाकी 33 जिलों में भी यह व्यवस्था लागू होगी। पांच जिले में जीविका दीदी की सेवा लेने के लिए जल्द ही स्वास्थ्य विभाग और जीविका के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होगा।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार जीविका दीदी कम्युनिटी मोबिलाइजर (सीएम) एवं कम्युनिटी न्यूट्रीशन रिसोर्स पर्सन (सीएनआरपी) परिवार नियोजन के साधनों के उपयोगिता का संदेश समुदाय से साझा करेंगी एवं उन्हें इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करेंगी।

अगर जीविका दीदी के कहने पर कोई महिला बंध्याकरण ऑपरेशन कराती है या कॉपर टी या सूई लगवाती तो इसके एवज में जीविका दीदी को प्रति महिला 100 रुपए दिए जाएंगे। आशा कार्यकर्ता को भी यही राशि दी जाती है।

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