साल 2020 में भारत सरकार ने पबजी और टिकटॉक समेत करीब 250 से अधिक चाइनीज एप्स पर बैन लगाए थे और एक साल बाद अब देशभर में काम कर रही कई चाइनीज कंपनियां इनकम टैक्स विभाग के रडार पर हैं. बीते बुधवार सुबह से ही देश भर में काम कर रहीं चाइनीज मोबाइल कंपनियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापेमारी की खबर सामने आ रही है. आयकर विभाग को भारत में संचालित चीनी कंपनियों पर इनकम टैक्स में गड़बड़ी का अंदेशा है. ओप्पो ग्रुप और शाओमी समेत अन्य चाइनीज कंपनियों पर शेल कंपनियों के जरिये टैक्स चोरी के साथ-साथ वीजा नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगा है, जिनकी विभाग जांच कर रहा है.
जानकारी है कि आयकर विभाग द्वारा पूरे देश में चाइनीज़ मोबाइल कंपनियों के ठिकानों पर बुधवार सुबह ताबड़तोड़ छापेमारी की गई है. दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर सहित देश के कई शहरों में तलाशी ली गई. इस दौरान मोबाइल कंपनी ओप्पो ग्रुप और शाओमी के खिलाफ भी इनकम टैक्स विभाग की बड़ी कार्रवाई हुई है. इनकम टैक्स विभाग के द्वारा ओप्पो ग्रुप से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों, निदेशकों, सीएफ़ओ सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी की गई.
टैक्स चोरी और वीजा नियमों के उल्लंघन का आरोप!
ये कंपनियां कथित तौर पर लोगों को चाइना से बिजनेस वीजा पर बुलाकर काम करवाती थी और फिर कुछ महीने काम करवा कर वापिस भेज दिया करती थीं. क्योंकि अगर रोज़गार वीजा पर चीन से भारत बुलाया जाता तो कंपनी को भारत को टैक्स देना होता और साथ ही बाकी बेनिफिट भी देने होते, जिसे ये कंपनिया बचा लेती थीं. लेकिन बैलेंस शीट में घाटा दिखाती थीं. इसके अलावा भारत में कंपनी खोलने के समय जिस तरह से भारत के लोगों को रोजगार का वादा किया गया था उसमें भी धांधली की बात सामने आ रही है. इस तरह से ये कंपनियां वीजा नियमों का तो उल्लघंन करती थीं. इसके साथ ये कंपनियां टैक्स चोरी भी किया करती थी.
भारत सरकार बना चुकी है दबाव!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार पहले ही ओप्पो और वीवो जैसे स्मार्टफोन निर्माताओं को वितरण के लिए चीनी साझेदारों के साथ काम रोकने के लिए दबाव बना रही है. इसके स्थान पर सरकार स्थानीय कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात कह रही है. भारत में स्मार्टफोन बाजार करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए का है. इसमें लगभग 65 से 70 फीसदी हिस्सेदारी चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट का है. केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में फिलहाल 92 चीनी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 80 कंपनियां सक्रिय होकर कारोबार करती हैं.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है
यह पहली बार नहीं है जब इस साल चीनी कंपनियों और उनके परिसरों पर छापेमारी की जा रही है. पिछले तीन महीनों में, आईटी विभाग ने दूरसंचार और प्रौद्योगिकी फर्मों के साथ-साथ खनन, रसायन, भारी मशीनरी के निर्माण में शामिल कंपनियों और उनकी सहयोगी कंपनियों पर तलाशी अभियान चलाया है, जो चीनी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित हैं. जांच में बेहिसाब आय का पता चला और पाया गया कि ये कंपनियां सरकारी बयानों के अनुसार कर चोरी में लिप्त थीं.
बीते अगस्त माह में, चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित जेडटीई कंपनी के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाया गया था. कंपनी के गुरुग्राम स्थित कार्यालय पर छापा मारा गया था और आईटी विभाग ने इसके भारत प्रमुख से पूछताछ भी की थी. रेड के दौरान पता चला था कि उपकरण के व्यापार पर कंपनी को लगभग 30 प्रतिशत का लाभ हुआ था, लेकिन कंपनी पिछले कुछ वर्षों में भारी घाटे की बात कर रही थी.
भारत सरकार करेगी फोन की जांच!
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाले सभी चाइनीज स्मार्टफोन की जांच कर सकती है. इस जांच के दौरान पता लगाया जाएगा कि फोन में पहले से इंस्टॉल आ रहे एप्स कही यूजर्स की जासूसी तो नहीं कर रहे. इसके अलावा फोन के पार्ट्स की भी जांच की जा सकती है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस जांच के लिए सरकार एक नया नियम बना सकती है. कुल मिलाकर कहें तो सरकार भारत में लॉन्च होने वाले सभी स्मार्टफोन के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जांच करना चाहती है.

बहरहाल अभी इस छापेमारी में विभाग के हाथ क्या दस्तावेज या अन्य सामान लगे हैं इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. तलाशी अभियान गुप्त आय और कर चोरी को लेकर खुफिया इनपुट पर आधारित थी. सूत्रों के मुताबिक, चल रही तलाशी के बारे में ब्योरा देना जल्दबाजी होगी लेकिन कर चोरी का सबूत देने वाले डिजिटल डेटा की पर्याप्त मात्रा पाई गई है और उन्हें जब्त कर लिया गया है. पूरी जानकारी आधिकारिक सूचना मिलने के बाद ही सामने आएगी.