जी20 सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित देशों का जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में उपेक्षित रवैया रखना भारत नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. साथ ही उन्होंने विकसित देशों को यह सुझाव दिया कि वे अपने जीडीपी का कम से कम 1% भाग ऐसी परियोजनाओं में लगाए, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित हो.
प्रधानमंत्री ने कहा कि “हम सिर्फ पर्यावरण के साथ अन्याय ही नहीं कर रहे बल्कि सम्पूर्ण मानवता को खतरे की ओर ले जा रहे हैं”. विकसित देशों के लिए तीन बिंदु पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि जी20 देशों को पर्यावण के लिए फायदेमंद होने वाली परियोजनों के लिए धनराशि जमा करनी चाहिए, जो उन सभी देशों के काम आये, जहाँ भविष्य में समस्या आ सकती है; G20 देशों को स्वच्छ-ऊर्जा संस्थानों का एक मज़बूत नेटवर्क बनाना चाहिए; और इन देशों को एक ऐसे संगठन के रूप में उभरना चाहिए जो हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहित कर सके.
यह सभी की साझा जिम्मेदारी है कि वैश्विक सुधार का लाभ सभी देशों तक पहुंचे और इसमें जी20 को अपनी भूमिका निभानी होगी. हम भारत के अनुभव को अन्य विकासशील देशों तक ले जाने के लिए जी20 भागीदारों के साथ काम करना चाहते हैं. भारत अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटा है और न ही कभी ऐसा करेगा.