बुधवार, 27 अक्टूबर को भारत ने चीन के नये भूमी सीमा कानून पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए चीन से इस कानून के बहाने ऐसी किसी कार्रवाई करने से बचने को कहा गया है जो सीमा पर अनसुलझी स्थिति को एकतरफा बदल सकती है.
भारत की तरफ से यह आधिकारिक बयान चीन के नए भूमी सीमा कानून के आने के 4 दिन बाद आया है. इसके पहले, 23 अक्टूबर को चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति के सदस्यों ने विधायिका सत्र के समापन बैठक में इस नए कानून को मंजूरी दी थी. यह कानून 1 जनवरी 2022 से प्रभाव में आएगा.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि – “भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अभी सुलझा नहीं है. हमने अंतरिम रूप से एलएसी क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं भी संपन्न की हैं”.
“इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिनपर दोनों पक्ष पहले ही पहुंच चुके हैं चाहे वह सीमा के सवाल पर हो या एलएसी में शांति बनाए रखने के लिए हो। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि चिन इस कानून के बहाने ऐसी किसी कार्रवाई करने से बचेगा जो सीमावर्ती क्षेत्रों में एकतरफा स्थिति को बदल सकता है”.
भारत ने यह भी कहा कि चीन-पाकिस्तान के 1963 के तथाकथित सीमा समझौते को जिसे भारत ने लगातार अवैध और अमान्य करार दिया है, को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है.
3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन भूमि सीमा विवादित बनी हुई है और दोनों देशों ने गलवान घाटी हिंसा के बाद करीब 17 महीनों से सीमा पर तनाव कम करने के लिए कई दौर की वार्ताएं की है.