भारत-नेपाल: त्यौहारों के मौसम में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर भारी पर रहे व्यापारी

भारत और नेपाल का एक दूसरे के पड़ोसी होने के साथ साथ एक दूसरे के साथ रोटी बेटी का संबंध भी है. जिसे लोकल भाषा में कहा जाता है कि दोनों देश एक दूसरे के “समधी” है, यानी दो घरों के बीच वैवाहिक संबंध का होना. भारत-नेपाल के बीच मैत्री संबंध और खुला सीमा क्षेत्र रहने के कारण वर्षों से आमलोग एक-दूसरे देशों के साथ थोक एवं खुदरा व्यापार करते आ रहे हैं. जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा दोनों देशों के मुद्रा विनिमय दर (Exchange Rate) निर्धारित है. लेकिन त्यौहारों का मौसम आते ही दोनों ही प्रदेश के व्यापारी मुनाफे के चक्कर में निर्धारित मुद्रा दरों की धज्जियां उड़ देते हैं.

एक्सचेंज रेट

आपको बता दें, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 100 रूपये नेपाली मुद्रा का भारतीय बाजार में 62.50 रूपये भारतीय मुद्रा एक्सचेंज रेट निर्धारित किया गया है. वहीं 100 रूपये भारतीय मुद्रा का मूल्य नेपाली मुद्रा में 160 रूपये नेपाली मुद्रा तय किया गया है. पहले जहां 100 रूपये नेपाली का 62.50 रूपये भारतीय मुद्रा में खुलेआम विनिमय होता था वहीं अब 55 से 60 रूपये ही दिया जाता है. इसी तरह 100 रूपये के भारतीय नोट के बदले 170 रूपये नेपाली मुद्रा का विनिमय दर दुकानदारों द्वारा निर्धारित कर दिया गया है. जहां पहले भारतीय बाजारों में खुलेआम 10 रूपये के नेपाली नोट 06 रूपये भारतीय एवं 05 के नेपाली नोट 03 रूपये भारतीय दर में प्रचलित था, वहीं त्यौहारों के मौसम में जब मार्केट गरम होता है तो 10 वाले नेपाली नोट 04 से 05 में लिया जाता है और 05 वाला नेपाली नोट तो कोई लेने को तैयार भी नहीं है.

इस विषय में व्यवसायियों द्वारा कहा जाता है कि “मार्केट में यही रेट चल रहा है. महगाई बढ़ गई है, हम क्या करें? आप सरकार से क्यों नहीं बोलते?” वहीं जनता अपने आप को मजबूर मान कर जवाब नहीं दे पाती. व्यवसायियों द्वारा एक्सचेंज रेट कम किए जाने से जनता शोषित हो रही है और व्यवसायी मालामाल हो रहे हैं. दीवाली, भाईदूज और छठ ऐसे त्यौहार है जो दोनों ही देशों में मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों के समय एक्सचेंज रेट की अवहेलना कर व्यापारियों की मनमानी चलती रहती है. जिसका सीधा असर दोनों देशों के बाजारों और आम जनता की जेबों पर पड़ता है. जबकि नेपाली तथा भारतीय मुद्रा विनिमय दर में कोई बदलवा आधिकारिक तौर पर नहीं हुआ है.

ठगा महसूस करते हैं आम नागरिक

हमेशा से ऐसा चलता आ रहा है कि व्यापार की दृष्टि से भारत-नेपाल के बीच नेपाली बाजारों में भारतीय मुद्रा ली जाती है और भारतीय बाजारों में नेपाली मुद्रा ली जाती है. लेकिन त्योहार के मौसम में एक तरफ जहां व्यापारी आम जनता को लूट रहे हैं वहीं दूसरी ओर नेपाल के विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड जो भारत में वैध है, उसके द्वारा भारत में एटीएम से भारतीय पैसे निकाल कर मुद्रा विनिमय के इस धंधे को बढ़ावा मिल रहा है और धंधेबाज मालामाल हो रहे हैं. इस कारण इस सीमा क्षेत्र के एटीएम में हमेशा पैसों की कमी आम ग्राहक को झेलनी पड़ रही है. व्यवसायियों के इस रवैया के कारण भारत और नेपाल के वर्षों पुराने रिश्ते पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और आम ग्राहक अपने आप को ठगा महसूस करते हैं. इस संबंध में सीमा क्षेत्र के बैंक के कर्मचारियों का कहना है कि त्यौहारों के सीजन में हमें भी कैश संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

गायब हैं एक्सचेंज काउंटर

जानकारी के मुताबिक सीमा क्षेत्र में नेपाल सरकार की तरफ से ऐसे काउंटर बनाए गए थे जहां से दोनों ही देशों के लोग करंसी एक्सचेंज कर सकते हैं और यहां अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्धारित दर पर एक्सचेंज किया जाता था. परन्तु अब ऐसे एक्सचेंज काउंटर लगभग बंद हो गए हैं. और जगह जगह निजी काउंटर खुल चुके हैं जहां के हालात भी कुछ ठीक नहीं है. इन निजी काउंटर मालिकों द्वारा भी मनमाने तरीके से पैसों का लेन देन किया जाता है. जबकि प्रशासनिक स्तर से इनपर किसी भी प्रकार की करवाई नहीं होती है. अब ऐसे में सीमा क्षेत्र में रह रहे लोग शोषित हो रहे हैं, साथ ही दोनों देशों के मैत्री संबंध में भी खलल पैदा हो रही है.

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